अमित मिश्रा//
राम के नाम पर राजनीति करने में माहिर भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर इस मुद्दे पर उलझी हुई है। केंद्र और उत्तर प्रदेश दोनों में प्रचंड बहुमत की सरकार के बावजूद अब राम मंदिर के नाम पर सिर्फ सियासत हो रही है। राम के नाम पर भाजपा द्वारा बनाए गए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी जोरदार तरीके से राम नाम की पैरवी करते कई बार दिखे हैं। हरिद्वार दौरे के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारतवर्ष की पहचान ताजमहल, इंडिया गेट और लालकिले से नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति से है।
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भाजपाइयों द्वारा राम के नाम पर वोट मांगने से लेकर वोट की राजनीति का क्रम बदस्तूर जारी है। उत्तराखंड की भाजपा सरकार को भी अब मनुष्य के रूप में धरती पर घूम रहे राम के वे रूप गौण लगने लगे हैं, जो अपनी फरियाद लेकर सुबह से लेकर शाम तक इस उम्मीद में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय के बाहर इंतजार में खड़े रहते हैं कि कोई आएगा और उनकी फरियाद सुनेगा। जोश-खरोश के साथ शुरू किया गया जनता दरबार मंत्रियों द्वारा प्रदेशभर में रामलीलाओं के रिबन काटने वाली टाइमपास की राजनीति के कारण बुरे दौर में है। जिन मंत्रियों को प्रदेशभर की जिम्मेदारी दी गई है, वे इस महीने अपनी-अपनी विधानसभाओं में रामलीला के कार्यक्रमों में व्यस्त हैं।
डबल इंजन की सरकार द्वारा हफ्तेभर के लिए बनाए गए जनता दरबार चार्ट के अनुसार सोमवार को सुबोध उनियाल, मंगलवार को हरक सिंह रावत, बुधवार को प्रकाश पंत, गुरुवार को यशपाल आर्य, शुक्रवार को सतपाल महाराज, शनिवार को धनसिंह रावत और रविवार को रेखा आर्य को अनिवार्य रूप से जनता दरबार लगाने का आदेश बकायदा मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर से हुआ था, किंतु अब अपने वोट बैंक के लिए घूम रहे मंत्रियों ने रामलीला के नाम पर इन जनता दरबारों से पिण्ड छुड़ाना शुरू कर दिया है।