अपने ही फैसले को अमलीजामा नहीं पहना पाई सरकार
झूठे पहाड़ प्रेम की खुली पोल
सरकार जनता के द्वार नहीं, जनता सरकार के द्वार बना नया नारा
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव २०१७ का शंखनाद करते हुए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आल वेदर रोड का शिलान्यास करने देहरादून के परेड ग्राउंड में आए और उन्होंने १७ साल पहले बने उत्तराखंड पर जंक लगने की बात कहने के बाद उत्तराखंड के लोगों से केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार के नाम पर डबल इंजन की सरकार बनाने का आग्रह किया। तब से लेकर वर्तमान तक डबल इंजन-डबल इंजन की धूम मीडिया में मची हुई है।
उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार बनने के बाद उत्तराखंड सरकार ने जोश-खरोश में ऐलान किया कि अब उत्तराखंड की जनता को सरकार के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, बल्कि सरकार खुद ब्लॉक स्तर पर जाकर उनकी समस्याओं का समाधान करेगी। इस ऐलान के साथ प्रत्येक जिले में प्रभारी मंत्री तय कर दिए गए। शुरुआत में कुछ मंत्री हैलीकॉप्टर से जिलों में घूमते हुए भी दिखाई दिए, किंतु कुछ देर घूमने के बाद फिर हवा में ही वापस लौट आए।
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नई दुल्हन की तरह कुछ दिन धमाचौकड़ी मचाने के बाद उत्तराखंड के मंत्रियों का अब सांस फूलने लगा है। या कहें कि उन्हें देहरादून से बाहर सफर करने में कमर दर्द, बदन दर्द व सिर दर्द की शिकायत होने लगी है। बरसात में हैलीकॉप्टरों के अधिक न घूम पाने के कारण मंत्री जिलों में गए ही नहीं।
अब डबल इंजन की सरकार ने अपने पुराने निर्णय के अमल में न आ पाने के कारण अब नया आदेश जारी कर दिया है। नए आदेश के अनुसार उत्तराखंड की जनता को अब इन मंत्रियों की पूजा करने के लिए देहरादून की विधानसभा में आना पड़ेगा। बुधवार और गुरुवार को ये मंत्री बारी-बारी से प्रदेशभर से आई जनता की बात सुनेंगे।
जब प्रदेशभर की जनता को देहरादून ही आना है तो प्रभारी मंत्री, प्रभारी सचिव जैसे पदों को तो समाप्त कर ही देना चाहिए और जब मंत्रियों की हिम्मत अब जिलों में जाकर जनता की समस्या सुननी नहीं रही तो समय रहते सरकार को हैलीकॉप्टर और हवाई जहाज बेच भी देने चाहिए, ताकि उन पर होने वाले लाखों रुपए के खर्च तो बच सके।