पहाड़ी मार्गों में हादसे रोकने के लिए क्यारीनुमा पैराफीट का प्रयोग।
– भू-कटाव रोकने में कारगर साबित होगा ये प्रयोग।
सुमित जोशी।
रामनगर(नैनीताल)। पहाड़ी रास्तों पर होने वाले हादसों को रोकने को लेकर लगातार प्रयास होते रहे हैं लेकिन रास्ते संकरे होने कारण यहां होने वाले हादसों में अधिकतर मौते वाहनों के खाई में गिरने से होती हैं। जिसे देखते हुए पहाड़ी मार्गों पर कई जगह कंक्रीट के पैराफीट तो कई जगह लोहे के पैराफीट लगाए गए हैं। ये पैराफीट कुछ हद तक हादसों में होने वाली जनहानि को रोका जा सका है लेकिन पहाड़ों में होने वाले भूकटाव के चलते ऐसे पैराफीट कुछ रास्तों पर कारगर नहीं हो पाते हैं। ऐसे में हादसों को रोकने के लिए क्यारीनुमा पैराफीट का एक नया प्रयोग नैनीताल जिले के रामनगर से अल्मोड़ा जिले के भतरोजखान के बीच होने जा रहा है।
रामनगर में तैनात एआरटीओ विमल पाण्डेय ने हमें बताया कि रामनगर-भतरोजखान एनएच 121 के पास बीते सालों हुए हादसों में वाहनों के खाई में गिरने से मौतें हुई है। ऐसी स्थितियों पर जनहानि को रोकने के लिए क्यारीनुमा पैराफीट एक प्रयोग के तौर पर बनाए जाएंगे। ये पैराफीट 3 फीट के होंगे। जिसमें 1 फीट बेस के रूप में जमीन के नीचे रहेगा और दो फीट ऊपर होगा। और इसकी चौडाई 60 से.मी. होगी। जिसमें 30 से.मी. में खाद डालकर उसमें पौधरोपण भी किया जाएगा। जिससे यदि कोई दुर्घटना होती है तो दुर्घटना ग्रस्त वाहन को खाई में जाने रोका जा सकता है। क्योंकि पहाड़ी मार्गों पर हादसों के दौरान होने वाली अधिकतर मौते वाहनों के खाई गिरने से होती है। लेकिन इस प्रयोग से विषम परिस्थितियों में वाहनों को खाई में गिरने से रोका जा सकता है। क्यारीनुमा पैराफीट का प्रयोग देश का पहला ऐसा प्रयोग होगा। साथ ही इस प्रयोग के लिए पर्यावरण और वृक्षों के संरक्षण के लिए काम करने वाली कल्पतरु वृक्षमित्र समिति का भी सहयोग लेने की तैयारी है। संस्था के सदस्यों से जब इस प्रयोग के लिए उपयोगी पौधों के विषय में जानना चाहा तो उनका कहना था कि गुडहल, कनेर, परीजात, गुलमोहर और अमलतास जैसे पौधे कारगर हो सकते हैं।
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*भू-कटाव रोकने के साथ पर्यटकों को आकर्षित करेगा ये प्रयोग।*
– क्यारीनुमा पैराफीट का प्रयोग देश का पहला प्रयोग होगा। ये प्रयोग पहाड़ी मार्गों में होने वाले भूकटाव को रोकेगा जिससे बरसात के समय सड़कों पर होने वाले भूकटाव और सड़कों के धंसने की सम्भावनाओं को कम किया जा सकता है। साथ ही ये प्रयोग देवभूमि के सौंदर्य का दीदार करने आने वाले पर्यटकों को भी सड़क किनारे की हरयाली से मंत्रमुग्ध करेगा।
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– एआरटीओ विमल पाण्डेय इससे पहले भी कई ऐसे रचनात्मक प्रयोग कर चुके हैं और जो कारगर भी सिद्ध हो चुके हैं। उन्होंने अल्मोड़ा में तैनाती के दौरान रानीखेत मार्ग पर पुराने टायरों के पैराफीट बनाए थे। साथ ही उन्होंने देहरादून में रहते हुए बाइक एंबुलेंस का प्रस्ताव दिया था जो कुछ समय पहले स्वीकार किया जा चुका है। रामनगर में तैनाती के बाद उन्होंने रबर ब्रेकरों का प्रयोग किया है। इसके अलावा वो रोड सेफ्टी को लेकर शॉर्ट फिल्म बना चुके हैं। जो दूरदर्शन पर भी प्रसारित हो चुके हैं।