उत्तराखंड के टिहरी जिले मे प्रताप नगर क्षेत्र वासियों के लिए टिहरी झील विकास की किरणें तो नहीं ला सकी अपितु मौत का कुआं जरूर बन चुकी है।
आज सुबह 08:30 बजे टिहरी जिले में प्रताप नगर ब्लॉक के कोटला गांव की 29 वर्षीय युवती ने झील में छलांग मार कर अपनी ही लीला समाप्त कर दी।आरती नाम की यह युवती अपने तीन बच्चों को अपनी सास के पास छोड़कर घास लेने के नाम पर घर से निकली और सीधे पास की झील में समा गई। महिला का पति अखिलेश टिहरी जिले की 108 सेवा में ड्राइवर है। वह आजकल दीपावली के लिए घर आ रखा था।
जैसे ही यह युवती झील में कूदी, आसपास के लोग और
पास में ही तैर रही बोट तुरंत महिला को बचाने निकल पड़ी। किंतु तब तक महिला की मौत हो चुकी थी। आरती के ससुर उम्मीद सिंह पंवार ने बताया कि युवती की आत्महत्या की वजह छोटा-मोटा गृह क्लेश और तनाव है।
क्षेत्र के एस ओ जेपी कोहली ने बताया कि शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए रवाना कर दिया गया है। पुलिस ने महिला के मायके ,पास के ही बनाली गांव में सूचना दे दी है। कोहली ने बताया कि उनके मायके के परिजन पहुंचने वाले हैं।
प्रताप नगर वासियों के लिए झील के कारण काला पानी बन चुका यह इलाका विकास से 10 वर्ष पीछे खिसक चुका है।
एक दिन पहले ही पास प्रतापनगर के इसी कोटगा गांव के बगल में ओखला गांव के ही एक 45 वर्षीय व्यक्ति ने भी अपनी जान दे दी थी।
विक्रम लाल नाम का यह व्यक्ति भी कारोबार कुछ खास न होने से निराशा का शिकार हो चला था। इस से दो दिन प्रताप नगर ब्लॉक की ही एक और युवती भी झील में कूद कर अपनी जान दे चुकी है।एक सप्ताह मे तीन जिंदगी झील मे समा चुकी है।यह आत्महत्या नही बल्कि हत्या है और हत्यारों मे शामिल है –हमारा सिस्टम,सरकारें,अफसर,और मार समाज।
हालात यह है कि कोई काम धंधा ना होने और आजीविका के साधन झील के कारण खत्म हो जाने से प्रताप नगर वासियों के हालात दिन-प्रतिदिन कठिन होते जा रहे हैं। आए दिन लोग यहां से पलायन कर रहे हैं।
इस इलाके में कोई अपनी बेटी का रिश्ता नहीं करना चाहता। रोजगार के साधन न होने से निराशा के भंवर में डूब चुके लोग आए दिन आत्महत्या के लिए विवश हो रहे हैं।
इसके लिए यहां से निराश लोगों को टिहरी झील ही एक आसान सा रास्ता जीवन के कष्टों से मुक्ति पाने के लिए नजर आता है। गौरतलब है कि दो अरब रुपए खर्च करने के बाद भी प्रताप नगर ब्लॉक को जोड़ने वाला डोबरा चांटी पुल बांध बन जाने के डेढ़ दशक बाद भी नहीं बन पाया है।
इससे पता चलता है कि हमारी सरकारें क्षेत्र के विकास के प्रति कितनी संजीदा है! यदि जल्दी ही क्षेत्र के विकास के लिए कोई खास कदम नहीं उठाए गए तो टिहरी झील पूरी दुनिया में आसान सुसाइड पॉइंट के नाम नाम से कुख्यात ना हो जाए!!