शराब के लिए गोतीर्थ पर जुल्म!
राजीव थपलियाल
दुर्भाग्य है कि जिस राज्य का मुखिया सरकारी आवास में गाय पालता हो उसीके अधीन श्रीनगर गढ़वाल में गोतीर्थ को हटाने का फरमान जारी होता हो, कारण की शराब की दुकान चलाने में कोई अड़चन न आये।
दरअसल, श्रीनगर में अलकनन्दा किनारे नगरपालिका ने कोटेश्वर के बाबा को आवारा गोवंश की सेवा के लिए काफी समय पूर्व जमीन मुहैया कराई। यहाँ पर एक बस अड्डा भी है, जिसमे शहर की बसें खाली समय में खड़ी होती हैं। गायों और वाहनों में सबकुछ ठीक चल रहा था कि बीच में शराब आ गई।
पहले शराब की दुकान बाजार बस अड्डे पर पुलिस चौकी के निकट हुआ करती थी। सुप्रीम कोर्ट के हाईवे से 500 मीटर दूर शराब बेचने के आदेश का असर यहां भी हुआ। तमाम जनविरोधों के बीच इस गोतीर्थ से सटे मकान में शराब की दुकान खोल दी गई। इस बीच महिलाएं और अन्य लोग कंडाली लेकर शराब के विरोध में दुकान पर धरना देने लगे। गोतीर्थ की बगल में शराब बिक्री का मुद्दा भी विरोधियो ने पकड़ लिया।इसी दौरान कुशलानाथ नाम के व्यक्ति ने इस गोशाला के संचालन को लेकर तकनीकी शिकायत एसडीएम को की। इस शिकायत ने उन सरकारी मुलाजिमो के लिये सँजीवनी का काम किया, जिनके लिए ऊपरी आदेश था कि हर हाल में शराब की दुकानें खुलें। एसडीएम ने मामले पर जाँच करते हुये गायों की इस शरणगाह को हटाने का फरमान जारी कर दिया।
हालांकि इस गोतीर्थ पर आरोप भी है कि यहां 3000 रूपये मासिक पर लोगो की गाय रखी जाती हैं, जबकि आवारा गाय शहर की सड़कों पर भटकती फिरती हैं। बहरहाल जो भी हो, शराब का कारोबार गायो के घर पर भारी तो पड़ ही गया।