गजेंद्र रावत//
कितनी अजीब विडंबना है कि आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने प्रदेश के सभी अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं में श्रीदेव सुमन की पुण्य तिथि पर विज्ञापन जारी किए हैं और उन्हें बाकायदा श्रद्धासुमन भी अर्पित किए हैं, किंतु वहीं दूसरी ओर श्रीदेव सुमन की हत्या करने वाले राजवंश की उत्तराधिकारी माला राज्य लक्ष्मी शाह उसी पार्टी की लोकसभा सांसद है। भारतीय जनता पार्टी श्रीदेव सुमन के हत्यारे राजवंश के उत्तराधिकारियों को लगातार टिहरी देती रही है और वे जीतकर भी आते रहे। श्रीदेव सुमन की हत्या के लिए आज शोर मचाने वाली कांग्रेस ने भी शुरुआत में कमलेंदुमती शाह से लेकर मानवेंद्र शाह तक को सांसद बनाकर लोकसभा में भेजा। वर्तमान में टिहरी लोकसभा की 14 विधानसभाओं में से 12 पर भाजपा के विधायक हैं और आज सभी 12 विधायकों ने श्रीदेव सुमन को श्रद्धा सुमन अर्पित किए, जबकि उन्हें मालूम है कि उनके इस श्रद्धासुमन से राजवंश की उत्तराधिकारी टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह और उनके परिजन दुखी होंगे।
आज 25 जुलाई को पूरे उत्तराखंड में शहीद श्रीदेव सुमन की पुण्यतिथि जोर-शोर से मनाई जा रही है। आज ही के दिन श्रीदेव सुमन की हत्या तब कर दी गई थी, उन्होंने टिहरी राजशाही के अत्याचारों से टिहरी को आजाद करने के लिए आंदोलन खड़ा किया। जब आंदोलन से बात नहीं बढ़ी तो उन्होंने राजशाही के खिलाफ विभिन्न मोर्चों से लड़ाई लड़नी शुरू कर दी। आखिरकार शाह वंश के क्रूर शासकों ने श्रीदेव सुमन को जेल में डाल दिया। जेल में भी जब श्रीदेव सुमन ने अपना आंदोलन जारी रखा तो उन्हें जेल के भीतर भारी यातनाएं दी गई। भारी वजन की बेड़ियों में जकड़ने के साथ-साथ उन्हें भूखा रखा गया। बाद में उन्हें दी जाने वाली रोटियों में कांच पीसकर देने की बात भी सामने आई। जब क्रूर राजशाही का इससे भी मन नहीं भरा तो उन्होंने श्रीदेव सुमन को जल के स्थान पर जहर पिला दिया।
84 दिनों तक दी गई कठोर यातनाओं के बाद जब श्रीदेव सुमन की हत्या कर दी गई तो उनका शव उनके परिजनों को नहीं दिया गया। रातोंरात बोरी में लाश को बांधकर भिलंगना नदी में फेंक दिया गया। अंग्रेजों के साथ युद्ध करते हुए भी यदि भारतीय सैनिक शहीद हुए होंगे तो उन्होंने भी शवों को वापस भारतीयों को दिया, किंतु टिहरी राजशाही के क्रूर शासकों ने श्रीदेव सुमन के परिजनों को उनका अंतिम संस्कार करने का भी हक नहीं दिया।
इससे समझा जा सकता है कि वर्षों तक टिहरी में राज करने वाली राजशाही का असली चेहरा प्रजा के प्रति कितना वीभत्स और क्रूर रहा होगा, जिन्होंने सुमन के परिजनों को उन्हें मुखाग्नि देने तक की इजाजत नहीं दी। आज सत्ताधारी और विपक्ष में बैठे तमाम लोग श्रीदेव सुमन की पुण्य तिथि पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे हैं, किंतु वर्षों बाद आज तक भी श्रीदेव सुमन के हत्यारों को कोई सजा नहीं दिला पाया। ऐसे में इस प्रकार के श्रद्धा सुमन कार्यक्रम सिर्फ फोटो खिंचवाने तक सीमित रह गए हैं।