बैकफुट पर शासन
सचिवालय सेवा के विभिन्न संवर्गों में वेतनमान कम किए जाने के खिलाफ सचिवालय संघ ने शुक्रवार से तालाबंदी की घोषणा कर दी है। पिछले दिनों वित्त विभाग ने बढ़ते हुए खर्चों पर लगाम लगाने के लिए सचिवालय सेवा के संवर्गों का वेतनमान कम कर दिया था। यह निर्णय बाकायदा मंत्रिमंडल की बैठक की स्वीकृति मिलने के बाद लिया गया।
इंदु कुमार पांडे की अध्यक्षता में बनी वेतन विसंगति से संबंधित समिति की संस्तुति पर सरकार ने यह निर्णय लिया है। सरकार का वित्तीय बोझ कम करने के तर्क के साथ यह निर्णय लिया गया है।
ग्रेड पे कम करने के लिए केंद्र सरकार के समीक्षा अधिकारी तथा अनुभाग अधिकारियों को मिलने वाले ग्रेड पे के अनुसार राज्य के समीक्षा अधिकारी और अनुभाग अधिकारी का भी ग्रेड पे करने का निर्णय लिया गया है।
केंद्र सरकार में समीक्षा अधिकारी को 4600 ग्रेड पे मिलता है तथा अनुभाग अधिकारी को 5400 ग्रेड पे मिलता है। राज्य में वर्तमान में समीक्षा अधिकारियों को 4800 ग्रेड पे दिया जा रहा है तथा अनुभाग अधिकारियों को 5400 ग्रेड पे दिया जाता है ।अब यह घटा कर समीक्षा अधिकारियों के लिए 4600 कर दिया गया तथा अनुभाग अधिकारियों का ग्रेड पे घटाकर 4800 किया जा रहा है। सचिवालय संघ को इस बात पर भी आपत्ति है कि ग्रेड पे में तो केंद्र सरकार का उदाहरण ले लिया गया लेकिन केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाले भत्तों को यहां लागू नहीं किया गया।
हर बात पर उत्तर प्रदेश के उदाहरण देने वाले अधिकारी इस मामले में उत्तर प्रदेश का उदाहरण लेना भूल गए।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में समीक्षा अधिकारी का पद राजपत्रित पद है जबकि उत्तराखंड में समीक्षा अधिकारी का पद समूह ग का पद है।
उत्तर प्रदेश में समीक्षा अधिकारियों को 4800 ग्रेड पे अनुमन्य है तथा वे उत्तर प्रदेश में 5400 ग्रेड पे के लिए प्रयासरत है। इसके पीछे एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि उच्च पदों पर बैठे अधिकारी यह नहीं चाहते हैं कि सचिवालय संघ के अधिकारी अपर सचिव पद पर दावा करें। इसलिए राज्य से आर्थिक बोझ कम करने के नाम पर अनुभाग अधिकारी तथा समीक्षा अधिकारियों का ग्रेड पर घटाया जा रहा है।
विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि फार्मासिस्ट तथा विभिन्न विभागों के जूनियर इंजीनियरों का ग्रेड पे घटाने की भी संस्तुति की गई है ।किंतु अभी यह निर्णय सार्वजनिक नहीं हुआ है ।कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि सचिवालय संघ के दबाव में सरकार ने यह निर्णय वापस नहीं लिया तो बाद में फार्मासिस्ट तथा जूनियर इंजीनियर और अन्य संवर्गो का भी ग्रेड पे घटाया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो अन्य विभागों में भी सरकार के खिलाफ विरोध तेज होने की आशंका है।
सचिवालय सेवा के अधिकारी शासन के इस निर्णय को अपना अपमान बता रहे हैं। इस निर्णय के विरोध में सचिवालय के विभिन्न अधिकारी संघ एक बैनर तले आ गए हैं।
सचिवालय सेवा के विभिन्न संवर्गों की यूनियन मतभेद भुलाकर इस निर्णय के ख़िलाफ़ सचिवालय संघ के साथ एकजुट हो गई है। सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने सरकार के इस निर्णय को तुगलकी फरमान बताते हुए कहा कि संघ ने इसके विरोध मे तालाबंदी करने का निर्णय लिया है। सचिवालय संघ के तेवरों को देखते हुए यह माना जा रहा है कि संघ न सिर्फ इस निर्णय को वापस लेने के लिए आंदोलन तेज करेगा बल्कि काफी लंबे समय से लंबित पड़ी मांगों को मनवाने के लिए भी सचिवालय संघ फिर से मुखर हो सकता है।
सभी घटक संघों के एक साथ आ जाने से सचिवालय संघ के हौसले बुलंद हैं।
इस निर्णय से समीक्षा अधिकारियों और सहायक समीक्षा अधिकारियों में खासा आक्रोश व्याप्त है
इस बीच शासन के अधिकारियों ने सचिवालय संघ से बात करने की कोशिश की, लेकिन संघ के पदाधिकारी मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में ही वार्ता करने को अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में वार्ता के बाद यह निर्णय वापस नहीं लिया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। समीक्षा अधिकारी संघ के अध्यक्ष राकेश जोशी कहते हैं कि शासन ने सचिवालय सेवा के अफसरों को प्रयोगशाला समझ लिया है। वह कहते हैं कि वेतनमान घटाने का निर्णय कर के मंत्रिमंडल ने उनके आत्मसम्मान पर कुठाराघात किया है। सचिवालय संघ के महासचिव प्रदीप पपनै का कहना है कि यदि इस बीच वार्ता से कोई ठोस हल नहीं निकलता है तो सोमवार 11 सितंबर को सचिवालय के विभिन्न संबंधों के संघों के साथ बैठक कर के आगामी रणनीति पर विचार विमर्श किया जाएगा।