जगदम्बा कोठारी, रूद्रप्रयाग//
रूद्रप्रयाग विधानसभा क्षेत्र से विधायक व तत्कालीन हरीश रावत सरकार मे सैनिक कल्याण मन्त्री रहते हुये हरक सिंह रावत ने अपनी विधानसभा क्षेत्र रूद्रप्रयाग के विकास खंड जखोली के थाती बडमा मे सैनिक स्कूल की नींव रखी थी परन्तु कांग्रेस कार्यकाल में दलबदल के बाद हरक सिंह के भाजपा मे जाने से स्कूल का भवन निर्माण अधर मे लटका है।
वर्ष 2013-14 मे हरक सिंह रावत ने अपनी विधानसभा सभा सीट रूद्रप्रयाग मे धूमधाम से सैनिक स्कूल का शिलान्यास किया था ।
तब तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत पर दबाव डालकर डा० हरक सिंह रावत ने तुरन्त सैनिक स्कूल के निर्माण के लिये 11करोड रूपये भी जारी कर दिए थे।
जिसमे कि 6करोड़ सैनिक कल्याण विभाग व 5 करोड़ उपनल के माध्यम से थे। निर्माणाधीन सैनिक स्कूल रूद्रप्रयाग उत्तराखंड का दूसरा व देश का 26वां सैनिक स्कूल है। सैनिक स्कूल का निर्माण ‘सैनिक स्कूल सोसायटी’ करती है जो कि शिक्षा विभाग के अधीन होती है और उसका अध्यक्ष प्रदेश का शिक्षा मन्त्री होता है।
परन्तु तत्कालीन सैनिक कल्याण मन्त्री के ‘प्रभाव’ के चलते इस विद्यालय का निर्माण कार्य शिक्षा विभाग के बदले सैनिक कल्याण विभाग को सौंपा गया। अब यह देश का पहला सैनिक स्कूल है, जिसका निर्माण कार्य शिक्षा विभाग के बदले सैनिक कल्याण विभाग करवा रहा था। कार्यकारी संस्था उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने 11 करोड़ रूपये मे महज जमीन का समतलीकरण व डेढ़ किलोमीटर कच्ची सड़क का ही निर्माण किया। जिसमे भी 10 करोड़ का खर्चा आया बाकी बचे हुए एक करोड़ का हिसाब सैनिक कल्याण विभाग रूद्रप्रयाग के पास भी नही है।
तत्कालीन शिक्षा मन्त्री मन्त्री प्रसाद नैथानी और हरक सिंह के बीच इसी बात को लेकर काफी तनातनी भी हुई थी। फिलहाल पिछले डेढ़ साल से सैनिक स्कूल बडमा का निर्माण कार्य अधर मे लटक हुआ है।
बडमा विकास समिति के अध्यक्ष श्री कालीचरण रावत निराश मन से कहते हैं कि स्थानीय ग्रामीणों ने अपनी 1000 नाली से अधिक कृषि भूमि निःशुल्क स्कूल निर्माण के लिए दी। परन्तु ग्रामीणों के साथ छलावा किया गया और इस विषय मे कई बार विधायक भरत चौधरी को अवगत कराया गया है परन्तु सिवाय आश्वासन के कुछ नही मिला।
यहां बता दें कि अभी देशभर में 25 सैनिक स्कूल संचालित हो रहे हैं। जिनसे प्रत्येक वर्ष 525 से अधिक कैडेट जल, थल और वायु सेना मे अफसर बनकर अपने सैनिक स्कूल व माता-पिता का नाम रोशन करते हैं।
देश का पहला सैनिक स्कूल का गठन जून 1961 मे महाराष्ट्र के सतारा मे हुआ।
वर्तमान में उत्तराखंड मे एक मात्र सैनिक स्कूल घोडाखाल नैनीताल मे स्थित है और दूसरा निर्माणाधीन रूद्रप्रयाग मे राजनीति का शिकार है।
रवीन्द्र सिंह रावत जिला सैनिक कल्याण अधिकारी रूद्रप्रयाग कहते है कि उन्हें स्कूल निर्माण के लिए 10 करोड़ की धनराशि मिली जो कि स्कूल निर्माण मे खर्च हो गयी और अब निर्माण कार्य शिक्षा विभाग को सरकार ने सौंप दिया है ।हरक सिंह रावत कहते हैं कि सैनिक स्कूल उनका सपना है तथा इसे पूरा कराया जाएगा।वह अपने चिर-परिचित अंदाज़ में भरोसा दिलाते है कि तब भी सरकार मे थे अब भी सरकार मे है।काम को अंजाम तक पहुंचाएंगे।श्री रावत ने भरोसा दिलायाहै कि अनियमितता की जांच की जाएगी तथा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।