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कैद में कंप्यूटर,  खरीद के बाद से कुछ कंप्यूटर पे रोल पर छुटे तो विभागों में दे रहे सेवा।

 

निर्माणाधीन कंप्यूटर लैब के भवन का पैसा रोका – कंप्यूटर की हो गई अग्रिम खरीदारी। उच्च शिक्षित विभाग के अफसरों पर धन की बर्बादी का आरोप । अफसरों की जल्दबाजी में फंड की बर्बादी।

गिरीश गैरोला

राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत उत्तरकाशी पीजी कॉलेज के लिए 34 कंप्यूटर खरीद तो ले गए किंतु इनके रखने के लिए कंप्यूटर लैब तैयार न होने की वजह से ये कंप्यूटर बंद कमरे में धूल फांक रहे हैं। इसी साल मार्च में मुख्यालय से 34 कंप्यूटर यहां भेजे गए थे। जिनमें से कुछ कंप्यूटर तो विभागों में लगाए गए हैं जबकि 20 कंप्यूटर आज भी बंद कमरों में कैद हैं।  बताते चलें कि उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने साफ निर्देशित किया था कि  ई -लाइब्रेरी बनाने के लिए पूर्व में खरीदे गए कंप्यूटर के उपयोगिता  सुनिश्चित करने के बाद ही आगे कंप्यूटर की सप्लाई का ऑर्डर दिया जाए किंतु शिक्षा विभाग के जानकार पढ़े लिखे अफसरों की मनमानी के आगे मंत्री के आदेश भी धरे के धरे रह गए।

महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ आर पी सिंह ने बताया कि रूसा  के तहत 3 मदों में उन्हें धनराशि प्राप्त हुई थी जिसमें से नव निर्माण में 1लाख40 हजार,  मरम्मत में 1लाख 40 हजार  और अन्य मद में एक करोड़ 20 लाख रूपय मिलने थे जिसमें अन्य मद में धनराशि कटौती की गई और महज 23 लाख 30 हजार  की धनराशि ही  स्वीकृत हुई। अन्य मद  में से 34 कंप्यूटर की खरीदारी हुई थी। उन्होंने माना शासन से मिलने वाली धनराशि के अभाव में कंप्यूटर लैब निर्माण रुका हुआ है और जब तक निर्माण पूरा नहीं हो जाता तब तक  कंप्यूटर इसी तरह बंद कमरों में रहेंगे।

हालांकि उन्होंने कहा इसमें से कुछ कंप्यूटर विभागों में भेज दिए गए हैं। कॉलेज के छात्र राजेश ने बताया कि वह बीकॉम मैं पढ़ रहा है । निर्माणाधीन भवन का काम रुका हुआ है और जब तक भवन निर्माण पूरा होगा तब तक उसके जैसे कई छात्र स्कूल से पास आउट हो चुके होंगे। ऐसे में जब तक कमरों में कैद एक कंप्यूटर लैब में सुसज्जित होंगे तब तक उनकी टेक्नोलॉजी भी पुरानी हो चुकी होगी।  कम से कम शिक्षा महकमे के जानकार लोगों को इस तरह से धन बर्बादी की अपेक्षा तो कतई नहीं की जा सकती ।

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