रास नहीं आया DM तो उत्तराखंड भेज दिया।
गोरखपुर के उपचुनाव में मीडिया को मतगणना स्थल पर जाने से रोकने वाले जिलाधिकारी राजीव रौतेला को उत्तराखंड भेज दिया गया है। कार्मिक मंत्रालय ने राजीव रौतेला का अंतिम आवंटन उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड के लिए कर दिया है।
राजीव रौतेला उत्तराखंड आने की इच्छुक नहीं थे और काफी लंबे समय से उत्तर प्रदेश में ही डटे हुए थे।
रौतेला की अर्जी को इलाहाबाद हाईकोर्ट में 2 साल पहले ही खारिज कर चुका था। गोरखपुर उपचुनाव में विवादित होने के बाद कार्मिक मंत्रालय ने उनको 16 मार्च को ही उत्तराखंड काडर में भेज दिया था।
रौतेला 1982 बैच के पीसीएस अफसर थे तथा इन्हें 2002 में IAS काडर में प्रमोट कर दिया गया था।
सवाल उठाया जा रहा है कि जब उन्हें वर्ष 2016 में ही हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में रहने के लिए मना कर दिया था तो विवादित होने के बाद उन्हें उत्तराखंड क्यों भेजा जा रहा है ! देखना यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार इस पर क्या एक्शन लेती है। यह भी संभावना जताई जा रही है कि एक बार उत्तराखंड में ज्वाइन करने के बाद वह प्रतिनियुक्ति पर वापस उत्तर प्रदेश भी जा सकते हैं।
इस अधिकारी ने विभाजन के समय उत्तराखंड आने से साफ मना कर दिया था तथा हाईकोर्ट से स्टे ले लिया था।
सारी उम्र उत्तर प्रदेश की सेवा करने के बाद अब सेवा निवृत्ति के करीब इनको यहां आकर उतराखंड पर पेंशन का बोझ नहीं बनने दिया जाना चाहिए।
राज्य सरकार को उसे इस शर्त पर ही यहाँ ज्वाइन करने देना चाहिए कि केन्द्र सरकार इसके पेंशन के दायित्व का विभाजन 5:95 के अनुपात में उतराखंड और उत्तर प्रदेश के मध्य करने के लिए सहमत हो जाए ।
सारी उम्र उत्तर प्रदेश की सेवा करने के बाद अब सेवा निवृत्ति के करीब इनको यहां आकर उतराखंड पर पेंशन का बोझ नहीं बनने दिया जाना चाहिए।
राज्य सरकार को उसे इस शर्त पर ही यहाँ ज्वाइन करने देना चाहिए कि केन्द्र सरकार इसके पेंशन के दायित्व का विभाजन 5:95 के अनुपात में उतराखंड और उत्तर प्रदेश के मध्य करने के लिए सहमत हो जाए ।