भूपेन्द्र कुमार
सफाई कर्मचारियों को जबरन मेल हॉल में उतार कर सफाई करवाने के मामले में जल्दी ही सरकार के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज हो सकता है।
गौरतलब है कि सफाई कर्मचारियों को नंगे हाथ और बिना सुरक्षा उपकरणों जैसे की मास्क, ऑक्सीजन सिलेंडर, दस्ताने आदि के बिना सीवर लाइन के गटर अथवा मेन हॉल में उतरवाने के मामले में इस संवाददाता ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी।
8 सितंबर 2018 को दायर इस याचिका में यह भी जिक्र किया गया था कि सफाई कर्मचारियों का स्वास्थ्य बीमा तक नहीं किया जाता। इस संवाददाता ने हाई कोर्ट में अपील की थी कि सफाई कर्मियों से नंगे हाथों बिना सुरक्षा उपकरणों तथा बिना स्वास्थ्य बीमा के मैनहोल गटरों में कार्य करवाया जा रहा है, जो कि बहुत ही अमानवीय है। इस कारण उनको गंभीर प्रकार की बीमारियां फैलने के साथ-साथ उनकी जान माल का भी खतरा है, क्योंकि कई दफा मेनहोल, गटर के अंदर से जहरीली गैसों का रिसाव भी हो जाता है और मास्क, ऑक्सीजन सिलेंडर ना होने के कारण सफाई कर्मियों की जान पर बन सकती है तथा नंगे हाथों बिना दस्तानों के कारण सफाई कर्मियों गंभीर बीमारियां भी फैल सकती हैं।
इससे पहले 26 फरवरी 2018 को डीएम के जनता दरबार में भी इस संबंध में शिकायती पत्र दिया गया था लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई तो हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करनी पड़ी।
हाईकोर्ट ने 18 सितंबर 2018 को राज्य सरकार को आदेश दिया था कि गली मोहल्लों में कूड़ा कचरा साफ करने वाले सभी सफाई कर्मियों को यूनिफॉर्म, जूते, गला और अन्य उपकरण दी जानी चाहिए दूसरा हाई कोर्ट ने सभी नगर निकायों और पंचायती राज संस्थाओं को निर्देश दिया था कि किसी भी सफाई कर्मचारी को बिना जरूरी उपकरण जैसे कि ऑक्सीजन सिलेंडर आदि के बिना मेन होल गटर में सफाई करने के लिए वाद्य नहीं किया जाएगा साथ ही एक प्रशिक्षित डॉक्टर भी वहां पर तैनात रखे जाने के भी निर्देश दिए गए थे हाईकोर्ट ने शहरी विकास विभाग के सचिव, डीएम और नगर निगम को निर्देश दिए थे कि वह इन आदेशों को पूरा कराया जाना सुनिश्चित करें किंतु हाईकोर्ट के आदेश को अफसर फाइलों में दबा कर बैठ गए।
आहत होकर इस संवाददाता ने पहले तो इस संबंध में की गई कार्यवाही की जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम मांग ली है, साथ ही कोर्ट के इस फैसले की अवमानना किए जाने को लेकर हाईकोर्ट में अपील दायर करने की तैयारी कर दी है।