कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड बने बीस वर्ष होने को जा रहे हैं लेकिन यहां सड़कों जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए क्षेत्रवासियों को खुद सड़कों पर उतरकर सड़क निर्माण में जुटना पड़ रहा है।
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मुख्यमंत्रियों के कॉन्क्लेव, प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्रियों से मुलाकात प्रदेश के लोगों को छलावे से अधिक कुछ नहीं लग रहा है।
पिथौरागढ़ शहर से महज चार किलोमीटर दूर ‘सुकौली-गणकोट’ सड़क मार्ग का कच्चा निर्माण बड़ी समस्याओं के बाद 2016 में विधायक निधि से कराया गया था। ग्रामीणों ने तभी से लगातार शासन प्रशासन से सड़क का चौड़ीकरण और डामरीकरण कराने की माँग कर रखी थी। इसके लिए कई बार ग्रामीणों को आंदोलनों की राह देखनी पड़ी थी। सड़क खराब होने की वजह से बच्चों, बूढों, बीमार और गर्भवती महिलाओं को आज भी डोली में लादकर पक्की सड़क तक पहुँचाया जाता हैं। सड़क की खराब हालत होने की वजह से स्थानीय लोगों को समय से उपचार नहीं मिल पाता है, जिस कारण गांव में कई मौतें हो चुकी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार धरना, जुलूस और प्रदर्शन करने के बावजूद उनकी कोई सुनवाई नहीं करता।
तंग आकर आज ग्रामीणों ने खुद हाथों में कुदाल, फावड़ा और गैंती लेकर मोटर मार्ग तैयार करना शुरू कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के दौरान नेता सिर्फ छल कपट कर जाते हैं, इसके बाद ग्रामीणों की मांगों को अनदेखा किया जाता हैं। ग्रामीणों का ये भी कहना हैं कि अगर शासन प्रशासन ने सुकौली-गणकोट सड़क को नहीं बनाया तो इसका नतीजा आने वाले उपचुनाव में राजनेताओं को भुगतना पड़ेगा।