ये भाजपा नेता मूलत: कुमाऊं से आते हैं। भारतीय जनता पार्टी में ऊंचा ओहदा रखते हैं और चुनाव जीत जाते तो शायद मुख्यमंत्री होते। पिछली १० मई को अमर उजाला अखबार में निदेशक अभियोजन की पांच साल की पोस्ट के लिए एक विज्ञापन सरकार की तरफ से जारी हुआ। जिसमें बहुत ही गोलमाल अंदाज से निदेशक अभियोजन के लिए योग्यताएं तय की गई और इच्छुक अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए। फर्जी सी दिखने वाली इस विज्ञप्ति के खिलाफ कई वकीलों ने कोर्ट जाने का मन बना लिया है। किसी को भी समझ नहीं आ रहा था कि इस पद के लिए कौन सा गेम खेला जा रहा है और कौन इसके पीछे है?
इस पद पर बीजेपी की जिस बड़े नेता की पत्नी को बैठाया जाना है, वह पूर्व में डीजीसी भी रह चुकी हैं। इससे पहले भी त्रिवेंद्र सरकार में भाजपा के दो कद्दावर नेताओं की पत्नियां मलाईदार पोस्टिंग पा चुकी हैं। इससे एक बात तो समझ में आती है कि जनता के अच्छे दिन आएं न आएं, किंतु नेताओं के अच्छे दिनों की शुरुआत तो हो ही चुकी है!