आज सूचना निदेशालय ने वेब मीडिया से जुड़े पत्रकारों ने एक बैठक का आयोजन किया बैठक में पत्रकारों ने अपनी लंबित मांगों का 6 नवंबर तक निस्तारण न होने पर राज्य स्थापना के दिन कटोरा लेकर घंटाघर पर भीख मांग कर अपना विरोध जताने का फैसला किया है।
अब सूचना विभाग आज की बैठक के बाद यह रणनीति बनाने में लगा हुआ है कि किसी तरह से वेब मीडिया एसोसिएशन में दो फाड़ करा दिए जाएं अथवा टेंडर कैंसिल करके इसका ठीकरा वेब मीडिया एसोसिएशन के पदाधिकारियों के सर पर फोड़ दिया जाए या फिर वेब मीडिया के पत्रकारों को किसी मुकदमे में फंसा कर गिरफ्तार कर लिया जाए। हालांकि सरकार के इशारे पर काम कर रहे सूचना विभाग की यह राजनीति भी लीक हो गई है।
वेब मीडिया एसोसिएशन द्वारा बहुत शॉर्ट नोटिस पर बुलाई गई आज की बैठक में 3 दर्जन से अधिक पत्रकार शामिल थे। गौरतलब है कि 3 महीने पहले वेब मीडिया एसोसिएशन के पत्रकार लंबे समय से एंपैनलमेंट ना होने के कारण आंदोलन पर उतारू हो गए थे एक हफ्ते तक चले इस आंदोलन में धरना प्रदर्शन भूख हड़ताल मशाल जुलूस से अपनी किरकिरी करवाने के बाद सूचना महानिदेशक ने वेब पोर्टल्स की सूचीबद्धता की कार्यवाही शुरू कराई थी लेकिन दबाव में मानी गई इस मांग को लेकर सूचना महानिदेशक ने अपनी ईगो का प्रश्न बना लिया और 3 महीने से न तो 11 सूत्री मांग पत्र पर कोई निर्णय लिया और ना ही पत्रकारों की सूचिबद्धता की प्रक्रिया पूरी की।
लगातार लेटलतीफी से आजिज आकर आज पत्रकारों ने सूचना निदेशालय में बैठक का आयोजन करके मेहरबान सिंह बिष्ट के खिलाफ जमकर आक्रोश जताया।
पत्रकारों को इस पर खासा एतराज था कि मेहरबान सिंह बिष्ट सामंजस्य बिठाने के बजाय मनमानी से नियम कायदों को तोड़कर पत्रकारों में फूट डालने का काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि वेब पोर्टल्स को सूचीबद्ध करने के लिए पहले सूचना महानिदेशक ने एक विज्ञापन निकाला और इसमें से 20-25 पत्रकारों को यह कहते हुए बाहर कर दिया गया कि इनके पोर्टल उत्तराखंड के नहीं है लेकिन फिर मनमानी से बाहर के कुछ न्यूज़ पोर्टल को भी सूचीबद्धता में शामिल कर लिया गया।
इसके बाद सूचना महानिदेशक ने अपने करीबी ग्रुप सी के एक-दो पत्रकारों से मात्र 12 सौ रुपए प्रति सप्ताह की दर के लगभग पर सहमति पत्र भरवा लिया इसके विरोध में ग्रुप सी के 39 पत्रकारों में से 38 पत्रकारों ने कंडीशनल असहमति जताते हुए सूचना विभाग को पत्र लिखा कि ग्रुप सी की दरें बेहद कम है और अव्यावहारिक है इसलिए दूसरी लोएस्ट दर प्रदान की जाए किंतु सूचना महानिदेशक ने इन कंडीशनल असहमतियों की आड़ में ग्रुप सी के 38 पत्रकारों को ही बाहर का रास्ता दिखाने का ताना-बाना बुन लिया।
इसके विरोध में आज पत्रकारों में खासा आक्रोश था।
सूचना महानिदेशक की मनमानी का आलम यह है कि 10 महीनों में वेब पोर्टल को केवल एक विज्ञापन ही मिल पाया है पहले चाय चुनाव की आड़ में विज्ञापन रोकने गए तो उसके बाद पंचायत चुनाव का बहाना बनाकर विज्ञापन जारी करने से मना कर दिया गया उसके बाद नए न्यूज़ पोर्टल की सूची व धता की आड़ में दो महीने से प्रक्रिया को लटका कर रखा गया है जब यह प्रक्रिया पूरी होने को आए तो फिर पत्रकारों की असहमति के बावजूद एक दो पत्रकार से न्यूनतम दर पर सहमति भरा दी गई।
अब पत्रकारों ने 6 नवंबर तक अपनी मांगों पर ठोस कार्यवाही ना होने की स्थिति में राज्य स्थापना दिवस के दिन भीख मांग कर विरोध जताने का निर्णय लिया है।
आज की बैठक में अन्य संगठनों ने भी एक दिवसीय धरने और बैठक में शामिल होकर अपना समर्थन दिया है।