कमल जगाती,नैनीताल
मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में देहरादून की आर.टी.आई.कार्यकर्ता सीमा भट्ट की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
क्या कहते हैं : सी.के.शर्मा, अधिवक्ता याचिकाकर्ता
जनहित याचिका में कहा गया कि कैशलैस लेनदेन को बढ़ावा देने के केंद्र सरकार के निर्देशों के क्रम में राज्य सरकार ने शुरू में डिजिटल लेनदेन एन.आई.सी.के माध्यम से किया, लेकिन बाद में इस कार्य के लिए टेंडर निकाला गया लेकिन जिस कम्पनी के नाम टेंडर हुआ वह ब्लैकलिस्ट हो गई। उसके बाद पुनः टेन्डर और दूसरी प्रक्रियाएं पूरी करने के बजाय सरकार ने एक दूसरी ही कम्पनी को यह काम सौंप दिया।
इस कम्पनी को पूरे प्रदेश के सरकारी विभागों के लेनदेन की इंटीग्रेटेड मॉनिटरिंग करने का ज्ञान नहीं था, जिस कारण कम्पनी द्वारा बड़े स्तर पर वित्तीय गड़बड़ियां की जा रही हैं ।
याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि सरकार को एक व्यक्ति को 14 हजार का भुगतान करना था जिसे इस कम्पनी ने केवल एक करोड़ का भुगतान कर दिया । इसी तरह कई विभागों के कर्मचारियों के खाते में एक माह के बजाय 3 माह का वेतन चला गया है।