सरकार के जीरो टोलरेंस का इम्तिहान!!
बेटे बेटी की अवैध नियुक्ति तथा ड्राइवर के धर्मांतरण सहित करोड़ों के घपले-घोटालों और विश्वविद्यालय को ब्लैकलिस्टेड कराने का आरोपी
उत्तराखंड उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार के कुलपति डॉक्टर मैथ्यू प्रसाद ने राजभवन मे अपना इस्तीफा सौंप दिया है ।यह बात अलग है कि उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया गया है। पर्वतजन के पाठकों को बता दें कि पर्वतजन के मार्च 2017 के अंक में ‘कलंक लगाते कुलपति’ के शीर्षक से विश्वविद्यालय के घपले-घोटालों पर एक खोज खबर प्रकाशित की गई थी। कुलपति ने अपने खासमखास लोगों को नौकरी देने के लिए अपने पद का बुरी तरह से दुरूपयोग किया था। मैथ्यू प्रसाद ने अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल करते हुए अपने बेटे सुधांशु प्रसाद तथा पुत्री मधुलिका प्रसाद को घर बैठे नियुक्ति दिला दी तथा उनको घर में बिठाए- बिठाए वेतन देते रहे। वह भी 2 साल से अधिक समय तक। जब इसका विरोध शुरू हुआ तू कुलपति को उन्हें हटाना पड़ा। कुलपति ने अपने पुत्रों को तो 30000 से 35000 रुपए का वेतन दिया किंतु उनके ही जैसे अन्य कर्मचारियों को 6 से 7 हजार रुपए की नौकरी करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
कुलपति ने अपने खास लोगों की भर्ती करने के लिए उम्र की अधिकतम सीमा का भी पालन नहीं किया और अपनी मर्जी से आयु सीमा बढ़ाकर 45 वर्ष कर दी। तथा चहेतों को नियुक्ति दी।
यही नही कुलपति ने संस्थान के सेलाकुई स्थित कार्यालय में चहेते कर्मचारियों को तो निशुल्क कमरे से लेकर विभिन्न तरह की सुविधाएं प्रदान की किंतु कई लोगों को खूब परेशान भी किया। नियमानुसार कुलपति को भरसार कैंपस में ही कामकाज संचालित करना था किंतु वह अपने ऐशो आराम के लिए देहरादून के कैंप कार्यालय से ही अधिकांश वक्त कामकाज चलाते रहे । उनके कार्यकाल में किसानों को कोई खास फायदा नहीं हुआ। पाठकों को यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन कुलपति महोदय के कार्यकाल में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने इस यूनिवर्सिटी को ब्लैक लिस्ट कर दिया है विश्वविद्यालय के कर्मचारियों में इस बात को लेकर बहुत रोष है। कर्मचारियों ने राज्यपाल को कुलपति की तमाम शिकायतों को गिनाते हुए यह गुहार लगाई है कि कुलपति के रिटायर होने से पहले ही इनकी तमाम अनियमितताओं तथा घपले-घोटालों की विस्तृत जांच कर ली जाए। तथा इन को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। कुलपति के खिलाफ यह आरोप भी है कि उन्होंने अपने एक पुराने ड्राइवर नर बहादुर को भी धर्मांतरण करके ईसाई बना दिया है इसके अलावा वह अपने नए ड्राइवर को भी इस्तीफा दिलवाकर अपने साथ ही रखना चाह रहे हैं । देखना यह होगा कि मैथ्यू प्रसाद ने अपने ड्राइवर का धर्मांतरण किस प्रभाव में किया। कुलपति की यह सब मनमानियां जब राजभवन के कानों तक पहुंची तो घबरा कर कुलपति छुट्टी चले गए। इससे पहले कि कोई कार्रवाई हो वह खिसक लेना चाहते हैं। कुलपति का कार्यकाल अभी जनवरी 2018 तक है।
राज भवन ने भी अभी तक इनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। राजभवन ने मंगलवार कल दिनांक 8 अगस्त को कुलपति को राजभवन में तलब किया है। पद छोड़ने से पहले कुलपति को समस्त तरह के अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जमा करने होंगे। देखना है यह है कि सरकार को सब पता होते हुए भी सरकार कितना टोलरेंस कर पाती है!!