चन्द्रशेखर पैन्यूली
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं माने जाने पत्रकार,सम्पादक रहे डॉ सचिदानंद पैन्यूली का आज तड़के 3:40 am पर उनके गंगानगर,ऋषिकेश स्थित आवास पर निधन हो गया,वे 92 वर्ष के थे,उनकी अन्त्येष्टि आज 10 am बजे पूर्णानन्द घाट ऋषिकेश में की जाएगी।
ये जानकारी उनके सुपुत्र सम्पूर्णानन्द पैन्यूली ने दी। डॉ. सचिदानंद पैन्यूली दिवंगत सांसद एवं टिहरी प्रजामण्डल के प्रथम अध्यक्ष रहे स्वाधीनता संग्राम सेनानी आदरणीय परिपूर्णानन्द पैन्यूली के छोटे भाई थे।
दोनों ही भाइयों ने टिहरी जनक्रांति और स्वाधीनता संग्राम में मिलकर बढ़ चढ़कर भाग लिया।आज दिवंगत हुए डॉ. सचिदानंद पैन्यूली विद्वान,कर्मठ और जुझारू व्यक्ति थे।टिहरी बाजार में वर्षों तक इनकी स्टेशनरी की दुकान भी रही,डॉ सचिदानंद की अनेक विषयों पर गहरी पकड़ थी,वह एक कुशल वक्ता भी थे,ये बड़ा दुःखद संयोग है कि गत वर्ष 13 अप्रैल को उनके बड़े भाई दिवंगत सांसद परिपूर्णानन्द पैन्यूली का निधन हुआ था,और पिछले ही महीने 12 मार्च को उनकी धर्मपत्नी का निधन हुआ था।
उनके सुपुत्र संपूर्णानंद पैन्यूली ने भावुकता के साथ ये बात बताई कि एक माह के भीतर ही माता पिता दोनों चल बसे,डॉ सचिदानंद पैन्यूली के दादाजी राजशाही में दीवान थे तो इनके पिताजी राजशाही में जाने माने इंजीनियर थे।
इनके पिताजी ने लिखवार गॉव,बनियाणी से जाकर छोलगॉव में अपना निवास बनाया था क्योंकि छोलगांव टिहरी के निकट था,और लिखवार गॉव,बनयानी से इनको टिहरी आने जाने में अधिक समय लग जाता था।
डॉ सचिदानंद स्वाधीनता आंदोलन में जेल में भी रहे,
पहाड़ों की गूंज के सम्पादक जीतमणी पैन्यूली ने उनके निधन की खबर देते हुए बताया कि डॉ सचिदानंद पैन्यूली ने देश की स्वतंत्रता के बाद भी अपने लेखन से समाजसेवा में बड़ी भूमिका निभाई।
वह यूपी में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संगठन के महामंत्री भी रहे और उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किये जिसकी प्रशंसा पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर ने भी की थी।