आज पीएम मोदी जी ने देश के संस्थाओं से अपील की है कि अपने कर्मचारियों का वेतन न काटा जाए। कल यह खबर अमर उजाला भी प्रमुखता से छापेगा। लेकिन क्या यह छापेगा कि उसने तो पहले ही अपने अधिकांश कर्मचारियों की पचास प्रतिशत सेलरी काट दी है। इन्हीं अखबार वालों की बदौलत मुनाफा कमाकर अमर उजाला लगातार अस्पताल और अन्य संस्थान खड़े करते जा रहा है लेकिन सिर्फ 20 दिन के लॉक डाउन में इन्हीं अखबार वालों का निर्ममता से पेट काट दिया गया। जबकि दूसरी ओर एक और प्रतिष्ठित अखबार हिंदुस्तान ने अपने कर्मचारियों की तनख्वाह एडवांस में ही जारी कर दी थी।
खुद को नम्बर वन बताने वाले अखबार अमर उजाला ने कोरोना के इस संकट के बीच अपने एम्प्लॉय की 50% सैलरी काट ली है। जिससे कम पगार वाले क़ई एम्प्लॉय के लिए अपने परिवार के लिए सब्जी ,दूध जैसी चीजों को खरीदने में भी दिक्कतें हो रही हैं।
जबकि सरकार ने आदेश भी दिए थे कि सभी प्राइवेट संस्थान अपने एम्प्लॉय को सेलरी देंगे ।
पर खबरों के माध्यम से पाठकों को नियम कानूनों का पाठ पढ़ाने वाले इस अखबार की खुद की हकीकत ये है कि अपने ही एम्प्लॉय की 50 प्रतिशत सेलरी काट दी है। हालांकि अधिक वेेेेतन वालों की ही सेलरी काटी गयी है।
वहीं दूसरी तरफ कोरोना के आर्थिक संकट के बीच खुद विज्ञापनों के लिए इस अखबार का मैनेजमेंट अपने एम्प्लॉय पर विज्ञापन जुटाने का दवाब भी बना रहा है ,ऐसे में विज्ञापन टीम रेट में थोड़ा बहुत छूट देकर राजनेताओं से कोरोना से बचाव के उपाय सम्बंधित विज्ञापन जुटा रही है। जिन्हें आजकल आप छपते हुए देख रहे होंगे ।
क़ई नेता तो पीठ पीछे ये भी कह रहे हैं कि ये तो इस आर्थिक संकट में भी नही छोड़ रहे हैं ।
ऐसे में कहीं न कही अखबार अपनी लोकप्रियता खोता जा रहा है।
वहीं जब इस आर्थिक संकट में इस नम्बर वन अखबार ने अपने एम्प्लॉय की 50 प्रतिशत सेलरी ही काट दी है तो एम्प्लॉय भी परेशान नजर आ रहे हैं।