सरकार द्वारा गरीबों को दिए जाने वाले मुफ्त राशन में राशन डीलर कर रहे हैं जमकर धांधली ग्राम प्रधान दे रहे हैं उनका साथ
राजिक खान/विकासनगर
जहां देश में केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मिलकर गरीब लोगों तक राशन पहुंचाने का कार्य कर रही हैं, ताकि लाकडाउन के चलते गरीबों में राशन की किल्लत ना रहे, वही राशन डीलर ग्राम प्रधानों की मिलीभगत से सरकारी राशन में कर रहे हैं धांधली।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री के आदेश अनुसार 3 माह का राशन अग्रिम राशन कार्ड धारकों को बांटा जा रहा है और इसके अतिरिक्त सफेद कार्ड और गुलाबी कार्ड धारकों को 5 किलो प्रति यूनिट मुफ्त राशन बांटने के लिए भी सरकार द्वारा उपलब्ध कराया गया है। जिसके चलते राशन डीलर राशन में जमकर धांधली कर रहे हैं और इस काम में उनका साथ दे रहे हैं गांवो के प्रधान।
आपको बता दें कि ग्राम प्रधान राशन डीलरों की दुकान में बैठकर ऐसे राशन वितरित करवा रहे हैं, जैसे मानो ग्राम प्रधान अपनी जेब से राशन बांट रहे हों।
प्राप्त जानकारी के अनुसार राशन डीलर की दुकान पर कार्ड धारक जब राशन लेने पहुंचते हैं तो पहले ग्राम प्रधान उनका कार्ड चेक करते हैं और फिर डीलर को आदेश देते हैं कि किस व्यक्ति को कितना राशन देना है। किसी को प्रति यूनिट 4 किलोग्राम के हिसाब से तो किसी को यूनिट ऑनलाइन कम चढ़ी होने की बात कहकर उनको कम यूनिट के हिसाब से राशन दिया जा रहा है। यदि लोगों द्वारा इसका विरोध किया जाता है तो ग्राम प्रधान अपने रोब दिखाकर और राशन डीलर इस मामले में सरकार से लड़ने की बात कहकर गरीब लोगों को चुप कर दे रहे हैं।
इसी तरह की केदारावाला के ग्रामीणों ने तासीन राशन डीलर और कुल्हाल के ग्रामीणों ने ज्ञानेंद्र राशन डीलर की शिकायत की है। केदारावाला के ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि प्रधान पति राशन डीलर की दुकान पर बैठकर कार्ड और शक्ल देखकर तय करता है कि किसको कितनी यूनिट के हिसाब से मुफ्त वाला राशन देना है। जब कुछ लोगों द्वारा इसका विरोध किया गया कि हमें पूर्व में 3 माह का अग्रिम राशन परिवार की पूरी यूनिट के हिसाब से मिला है तो अब मुफ्त दिए जाने वाले राशन में हमारी यूनिट क्यों कम कर दी गई? तब प्रधान पति द्वारा दबंगई दिखाकर कहा जाता है कि मुफ्त में दिया जा रहा है। जितना मिल रहा है चुपचाप लेकर निकलो। मुझे सबका ख्याल रखना पड़ता है। आखिर जब राशन सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है तो वह प्रधान पति के सबका ख्याल रखने वाली बात किसके लिए है?
ऐसा ही आरोप कुल्हाल के ग्रामीणों का भी था कि राशन डीलर ज्ञानेंद्र के द्वारा पूर्व में मिले 3 माह का अग्रिम राशन पूरा दिया गया, लेकिन वर्तमान में दिए जाने वाले मुफ्त राशन में कार्ड धारकों की यूनिट ऑनलाइन कम चढ़ी होने की बात कहकर कम राशन दिया जा रहा है।
अब सवाल यहां यह उठते हैं कि :-
1.आखिर किसने ग्राम प्रधान या प्रधान पतियों को राशन डीलर के यहां बैठकर अपने हिसाब से राशन बांटवाने का अधिकार दिया है?
2.जब कार्ड धारकों को अग्रिम 3 माह का राशन ऑनलाइन चढ़ी यूनिट के हिसाब से पूरा दिया गया तो अब कैसे मुफ़्त बांटे जाने वाले राशन में उनकी ऑनलाइन चढ़ी यूनिट कम कैसे हो गई?
3.क्या वास्तव में सरकार द्वारा मुफ्त बांटे जा रहे राशन में हो रही इस धांधली की जानकारी संबंधित अधिकारियों को नहीं है?
4.आखिर कैसे हो सकता है कि प्रशासन द्वारा मॉनिटरिंग के लिए नियुक्त किए गए जिम्मेदार अधिकारी इस तरह के मामलों से अनभिज्ञ हैं?
शासन-प्रशासन में बैठे संबंधित उच्च अधिकारियों को भी चाहिए कि यह सुनिश्चित करें कि सरकार द्वारा गरीबों को दिया जाने वाला राशन भ्रष्टाचारियों की भेंट ना चढ़कर गरीबों तक उनका हक पहुंच जाए, जिससे गरीब लोगों को राशन की किल्लत से न जूझना पड़े।