नए राज्य की सब्सिडी का लाभ लेकर पलायन कर रहे कंपनी मालिक
भगवती प्रोडक्ट्स लि. रुद्रपुर द्वारा 303 श्रमिकों की 27 दिसंबर 2018 को छंटनी की गई थी, जबकि 47 श्रमिकों को अनिश्चितकालीन ले ऑफ दे दिया गया था। तब से तब से लेकर आज तक श्रमिक अपने हक की लड़ाई को लेकर आंदोलनरत थे, लेकिन लॉकडाउन में उनके समक्ष विकट समस्या खड़ी हो गई है। ऐसे में लॉकडाउन के चलते इन कठिन व प्रतिकूल परिस्थितियों में सभी मजदूर साथियों के साथ मिलकर इन श्रमिकों की मदद करने का अनुरोध किया गया है। अपील की गई है कि निजी तौर पर तथा यूनियन की ओर से हम पीडि़त श्रमिकों का आर्थिक सहयोग करें, ताकि हम अन्याय के खिलाफ अपने संघर्ष को जारी रख सकें।
बताते चलें कि भगवती श्रमिकों को लंबे समय बाद ट्रिब्युनल कोर्ट हल्द्वानी से जीत मिलने के बाद कोरोना महामारी के चलते संघर्ष थोड़ा लंबा हो गया है, जिसके चलते 4/5 श्रमिक अभी धरनास्थल कंपनी गेट पर ही लॉकडाउन हो गए हैं। भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड (माइक्रोमैक्स) के प्रबंधन द्वारा 303 स्थायी श्रमिकों को 27 दिसंबर 2018 को बिना राज्य सरकार से अनुमति लिए व बगैर किसी पूर्व सूचना के अवैध तरीके से नौकरी से निकाल दिया था। इसी कारण विगत एक साल 5 महीने से लगातार बेहद कठिन व प्रतिकूल परिस्थितियों में पीडि़त श्रमिक अन्याय के खिलाफ और अपनी ससम्मान कार्य बहाली के लिए रात-दिन खुले आसमान के नीचे धरना देकर संघर्ष कर रहे हैं।
विगत एक साल पांच माह से बिना वेतन के स्वयं और अपने आश्रित परिजनों का जीवनयापन करना बेहद कठिन हो गया है और आर्थिक संकट से जूझने के कारण धरना प्रदर्शन और आंदोलन जारी रखने में भी बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटिड प्लाट 18 सेक्टर 2 आईआईई पंतनगर रुद्रपुर के प्रबंधक ने पहले 303 श्रमिको की छंटनी 27-12-2018 को कर बाकी बचे 47 श्रमिकों को अनिश्चितकालीन ले ऑफ दे दिया था।
7 अक्टूबर 2019 से अब तक प्रबंधक कहता आ रहा है कि उसके पास काम नहीं है। सवाल यह है कि वह अन्य दो राज्य में भारी मात्रा में उत्पादन कर रहा है और उत्तराखंड राज्य से सारी मशीनें अन्य राज्य में भेज दी हैं।
बताते चलें कि फर्म के मालिक उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल नए राज्य से मिलने वाली सब्सिडी का लाभ उठाकर राज्य से पलायन कर रहे हैं और उत्तराखंड राज्य के श्रमिकों को रोजगार से वंचित कर रहे हैं। जिन श्रमिकों ने रात-दिन मेहनत करके दो अन्य राज्यों में प्लांट खड़े करने में महत्वपूर्ण सहयोग किया, उसी मदर प्लांट श्रमिकों के लिए काम नहीं है। ऐसे में श्रम विभाग की कार्य प्रणाली पर व सरकार के कायदे-कानूनों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।