पटवारी और आंगनवाड़ी कार्यकत्री के बीच वाक युद्ध का वीडियो वायरल होने के बाद इधर आंगनवाडी कार्यकत्री ने पटवारी के खिलाफ कोई कार्यवाही करने से हाथ पीछे खींच लिए हैं और उधर उप जिलाधिकारी धुमाकोट ने पटवारी का जवाब तलब कर दिया है कि वह प्रतिदिन अपने गृह जनपद उधम सिंह नगर से धुमाकोट तहसील के लिए रोज कैसे आवागमन करके लॉक डाउन का उल्लंघन कर रहे थे !
आंगनबाड़ी कार्यकत्री और पटवारी के बीच वाक युद्ध का वीडियो आप सभी ने अब तक देख ही लिया होगा और नहीं देखा तो इसी स्टोरी में नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके फिर से देख सकते हैं।भ
आप उस बदतमीज पटवारी को लानतें भी भेज चुके होंगे और साथ ही फ्रंट लाइन पर काम कर रही आंगनवाड़ी महिला कार्यकर्ताओं को न्याय दिलाने के लिए मांग भी कर चुके होंगे।
लेकिन अफसोस आंगनवाड़ी महिला कार्यकत्री को न्याय दिलाने के बजाय, उसकी मेहनत को सलाम करने के बजाय इस मामले को सिर्फ दबा दिया गया है, क्योंकि उन पर काफी दबाव बन रहा था।
आज महिला ने अपनी शिकायत वापस ले ली है। आंगनवाडी कार्यकत्री आशा देवी ने अपने पत्र में लिखा कि उनका धुमाकोट तहसील के पटवारी दिलशाद खान के साथ जो भी मनमुटाव हो गया था, उसका निपटारा ग्राम प्रधान और अन्य गणमान्य लोगों के बीच में हो गया है और पटवारी द्वारा अपनी गलती मानने पर वह अब कोई कार्यवाही नहीं चाहती हैं और उन पर एफ आई आर कराने के लिए भी काफी दबाव बन रहा है लेकिन वह कोई एफ आई आर दर्ज नहीं कराना चाहती।
अतः यह प्रकरण समाप्त हो गया है।
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अहम सवाल यह है कि यह पत्र आशा देवी ने लिखा है तो इस पर बाकी समझौता कराने वाले बिचौलियों के हस्ताक्षर क्यों हैं और अगर उन्होंने हस्ताक्षर किए हैं तो फिर समझौता पत्र पर तो दोनों पक्षों के हस्ताक्षर होते हैं दिलशाद खान के हस्ताक्षर इस पत्र पर क्यों नहीं है !
क्या यह समझौता करने वाले लोग दिलशाद खान की मदद करना चाहते हैं ! और क्या दिलशाद खान अभी भी सचमुच में पश्चाताप नहीं कर रहा है !
दिलशाद खान द्वारा गलती मानने का कोई सार्वजनिक पत्र क्यों नहीं है !
समझौता कराने वाले लोग दिलशाद खान के एजेंट है या फिर दिल से सच्चे मन से समझौता कराना चाहते हैं ! इससे आंगनवाड़ी महिला कार्यकर्ता का कौन सा हित होता है, अथवा उनका सम्मान कैसे लौटता है !
बहरहाल पटवारी दिलशाद खान को एसडीएम धुमाकोट द्वारा सात दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है।
अहम सवाल अब भी अपनी जगह है कि छह सात लोगों की मौजूदगी में आंगनवाड़ी कार्यकत्री को न्याय दिलाने के बजाय यह समझौता क्यों करवाया गया !
यह घटना 20 अप्रैल की है। किंतु यह समझौता 1 तारीख मई को क्यों हुआ !
यदि इन सब को न्याय ही दिलवाना था तो वीडियो वायरल होने से पहले 10 दिन तक ये गणमान्य लोग कहां थे !
इस पत्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आशा देवी का सिर्फ नाम लिखा है उनके हस्ताक्षर नहीं है किंतु इस पर ग्राम प्रधान सुनीता रावत, वार्ड मेंबर दीपा देवी, भूतपूर्व प्रधान विजय नंद, मजेडा ग्राम प्रधान सुरेश उनियाल, पंचायत सदस्य वीरेंद्र सिंह और भाजपा मंडल महामंत्री सुरेश चंद्र सिंह के नाम और हस्ताक्षर अंकित है।
इससे सीधा सीधा सवाल यही उठता है कि जब पटवारी पर जनता के दबाव में कार्यवाही करने की बात सामने आई, तभी पटवारी भी माफी मांगने को विवश हुआ और तभी यह पांच-छह गणमान्य लोग भी एक महिला कार्यकत्री से यह समझौता पत्र लिखवाने में सफल हुए।
यदि यह वीडियो नहीं बना होता और यह वीडियो वायरल नहीं हुआ होता तो क्या तब भी यह गणमान्य व्यक्ति महिला को न्याय दिलाने के लिए आगे आते !
यदि हां तो फिर यह लोग 10 दिन तक कहां सोए थे! आखिर यह लोग किसके पक्ष में हैं ! यह सवाल आने वाले समय में अपने उत्तर की प्रतीक्षा में जरूर रहेगा !