कुमार दुष्यंत
हरिद्वार।यहां पिछले चार दिनों से भाजपा के दो छत्रपों के बीच मचे घमासान को फिलहाल शांत करने में पार्टी ने कामयाबी पा ली है।लेकिन मामला अनुशासन समिति को सोंप दिये जाने से रार अभी बाकी है।
भाजपा में कल सारा दिन इस मामले को लेकर ऊपर से नीचे तक घमासान मचा रहा।राजधानी से लेकर हरिद्वार तक दोनों पक्ष मेयर-महाराज विवाद को लेकर बैठकों में रणनीतियां बनाते रहे।महाराज व मदन कौशिक सहित पार्टी के जिला कार्यकर्ता सम्मेलन में भाजपा के कई नेताओं की हरिद्वार में मौजूदगी के कारण पार्टी के बड़े नेताओं पर इस विवाद को जल्द से जल्द निपटाने का दबाव था।जिसके बाद सतपाल महाराज के प्रेमनगर आश्रम में चली कई दौर की बैठकों के बाद आखिर प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट महाराज को मनाने में कामयाब रहे।लेकिन महाराज को मनाने के लिए न केवल प्रदेश अध्यक्ष को घंटों बंद कमरे में महाराज से मिन्नतें करनी पड़ी।बल्कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह को भी बीच में डालना पड़ा।अमितशाह से महाराज की बातचीत के बाद आखिर महाराज अनुशासन समिति को यह मामला सोंपने पर सहमत हुए।बताया जाता है कि महाराज इस पूरे मामले में अपना अपमान होने की बात को लेकर मेयर व मंत्री के माफीनामे पर अडे हुए थे।इधर मेयर व उनका खेमा इस स्तर तक झुकने को तैयार नहीं था।गतिरोध को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने इस सारे प्रकरण के लिए स्वयं महाराज से माफी मांगी।लेकिन कार्रवाई पर अडे महाराज इससे टस से मस न हुए।जिसके बाद अमितशाह की मध्यस्थता के बाद यह मामला प्रदेश अनुशासन समिति को सोंपने पर सहमति बन सकी।अब प्रदेश अनुशासन समिति के अध्यक्ष ज्ञानसिंह नेगी की अध्यक्षता में बनी समिति इस मामले की जांच कर पंद्रह दिन में अपनी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष को सोंपेगी।
क्योंकि दोनों पक्ष अब भी अपने-अपने रुख पर कायम हैं।इसलिए तलवारें अभी म्यान में नहीं गई हैं।महाराज क्योंकि कार्रवाई पर अडे हुए हैं।इसलिए पंद्रह दिन बाद जब अनुशासन समिति अपनी रिपोर्ट देगी तो एकबार फिर से यह मामला गर्माएगा।फिलहाल इस पूरे प्रकरण में अमितशाह से लेकर जिला स्तर तक महाराज को जिस गंभीरता से सुना गया है।उससे लगता यही है कि अनुशासन समिति का निर्णय महाराज के पक्ष में ही आएगा।मेयर की चोटों की सचाई भी जांच का अहम पहलू है।मामले के फिलहाल शांत होने के बाद अब सबकी निगाहें अनुशासन समिति की रिपोर्ट पर लग गई हैं ।