उत्तराखंड सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग में लिपिकों का एकीकरण करने से उन पर वरिष्ठता प्रभावित होने का खतरा मंडराने लगा है।
पिछले दिनों प्रदेश सरकार ने निदेशालय और जिला स्तर पर संवर्ग की व्यवस्था को समाप्त करके सबका एक ही संवर्ग करने का निर्णय लिया है।
कैबिनेट के इस फैसले के बाद से निदेशालय के मिनिस्ट्रियल कर्मचारी विरोध में उतर आए हैं। इनकी एसोसिएशन के अध्यक्ष उदय सिंह कंडारी और कहना है कि निदेशालय और जिला स्तर पर लिपिकों की अलग-अलग संवर्ग की व्यवस्था उत्तर प्रदेश के समय से कायम है
एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रोहित जोशी ने कहा कि यदि सरकार ने कैबिनेट का फैसला नहीं बदला तो उनके हित प्रभावित होंगे और वे न्यायालय की शरण में जाएंगे। निदेशालय में तैनात लिपिक संवर्ग के कर्मचारी इस बात से भी डरे हैं कि अब संवर्ग एक होने से उनका तबादला भी जिले स्तर पर होगा और उनकी वरिष्ठता भी प्रभावित होगी।
एसोसिएशन को इस बात पर भी ऐतराज है कि कैबिनेट में फैसला लेने से पहले उनका पक्ष एक बार भी नहीं रखा गया, जबकि वे बरसों से तन मन से विभाग में सेवा करते आ रहे हैं तथा कोरोना महामारी के दौर में भी उन्होंने 33% की उपस्थिति के आदेश के बावजूद अपनी हंड्रेड परसेंट उपस्थिति के साथ काम किया है। इसके बावजूद सरकार उनके प्रति संवेदनशील नहीं है।