NH 74 की जांच करने के लिए सीबीआई की मंजूरी मिल जाने की कही थी बात!
गृह विभाग को नहीं है अब तक ऐसी किसी मंजूरी का अता पता !
NH 74 घोटाले की जांच करने के लिए सीबीआई की मंजूरी मिल जानी की घोषणा करने 2 महीने बाद भी नतीजा शून्य है।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिछले विधानसभा सत्र के दौरान 14 जून 2017 को जानकारी दी थी कि बहुचर्चित NH 74 घोटाले की जांच अब सीबीआई ही करेगी .
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने जब यह जानकारी मीडिया के माध्यम से दी तब सबको सहज ही विश्वास हो गया था कि जरूर सीबीआई ने इस केस को टेकअप करने में हामी भर दी होगी ।मीडिया ने इस बात को बड़े जोर शोर से उठाया और सरकार की जमकर तारीफ भी की किंतु तब से लेकर अब तक 60 दिन से अधिक का समय हो गया है किंतु सीबीआई की ओर से उत्तराखंड के गृह विभाग को अब तक इस संबंध में कोई भी सूचना नहीं मिली है। और ना ही सीबीआई की ओर से कोई नोटिफिकेशन भी जारी हुआ है।
m गौरतलब है कि एनएच 74 घोटाला कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही हुआ था तथा जिन ग्रामीणों को राजमार्ग के चौड़ीकरण के एवज में मुआवजा दिया गया था उनमें से कई ग्रामीणों ने करोड़ों रुपए कांग्रेस पार्टी के चुनावी खातों में जमा कराया था ।
इसके अलावा रुद्रपुर से लेकर कई अन्य जगहों पर कुछ अन्य लोगों के खातों में भी करोड़ों रुपए जमा कराया गया था ।इस से साफ इशारा मिलता था कि इस घोटाले में कांग्रेस का ही पूरा पूरा हाथ था किंतु हुआ इसका उलट इस घोटाले को लेकर जहां भाजपा कांग्रेस पर दबाव बना सकती थी। वहीं कांग्रेस ने उल्टा इस घोटाले को खुलवाने के लिए भाजपा सरकार पर दबाव बना दिया। इस पर एक और करारी चोट तब पड़ी जब केंद्रीय राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के मंत्री नितिन गडकरी ने एनएच 74 घटाने की जांच सीबीआई से न कराने की चेतावनी राज्य सरकार को दे डाली। गडकरी ने बाकायदा अपने मंत्रालय से एक चिट्ठी जारी की जिसमें सरकार को धमकी दे गई थी कि यदि राजमार्ग के अफसरों को इस तरह से परेशान किया गया तो केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय भविष्य में उत्तराखंड के प्रोजेक्ट को जारी रखने के विषय में गंभीरता से विचार करेगा। इससे कुछ समय के लिए राज्य सरकार बैकफुट पर आ गई थी लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने हिम्मत नहीं हारी।
त्रिवेंद्र रावत ने दो बार सीबीआई को एनएच 74 घोटाले की जांच करने के लिए रिमाइंडर भेजा। विधानसभा सत्र के दौरान जब कांग्रेस पूरी तरह से सरकार पर हावी थी तो त्रिवेंद्र रावत ने यह कहकर विपक्ष का मुंह बंद करा दिया था कि एन एच 74 घोटाले की जांच के लिए सीबीआई ने अपनी मंजूरी दे दी है ।अब सरकार के प्रवक्ता तथा कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने भी बाकायदा तमाम चैनलों पर और प्रिंट मीडिया में कहा था कि एक से 2 हफ्ते के अंदर-अंदर सीबीआई इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर देगी। तब से लेकर अब तक 2 माह से भी अधिक का समय हो गया है किंतु सीबीआई की ओर से राज्य सरकार को कोई भी रिस्पांस नहीं मिला है। न ही राज्य सरकार ने अपनी ओर से इस संबंध में मीडिया में कोई नई जानकारी साझा की है।
कैसे होती है सीबीआई जांच
सबसे पहले जिस विभाग से संबंधित प्रकरण होता है वह विभाग गृह विभाग को सिफारिश पत्र भेजता है कि उसके विभाग के फलाँ प्रकरण मे सीबीआई जांच की आवश्यकता है।गृह विभाग संबंधित मंत्री के अनुमोदन के पश्चात इसे सीबीआई को भेजता है।सीबीआई डीओपीटी से आवश्यक औपचारिकता पूरी करने के बाद एक नोटिफिकेशन जारी करती है कि वह संबंधित प्रकरण की सीमा तक राज्य के अधिकारो मे हस्तक्षेप के लिए अपने अधीन ले सकती है ।इसके बाद जांच अधिकारी तय हो जाताहै।
पर्वतजन के पास उपलब्ध पुख्ता सूत्रों के अनुसार अब तक सीबीआई ने राज्य सरकार को इस तरह की कोई भी मंजूरी नहीं दी है तथा न ही सीबीआई की ओर से ऐसा कोई भी पत्र अथवा नोटिफिकेशन की सूचना राज्य सरकार के गृह विभाग को प्राप्त हुई है। जाहिर है कि 2 महीने पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने विपक्ष के हमलावर रूप को कमजोर करने के लिए ही जल्दी बाजी में यह बात कही। उसके बाद मीडिया ने भी अपनी खबर का असर दिखाने के अंदाज में वाहवाही बटोरी और सरकार की पीठ ठोकने के बाद विधानसभा सत्र खत्म होते ही सभी इस विषय को नेपथ्य में डाल कर दूसरे कामकाज में लग गए। जाहिर है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने अपने पद और पद की गरिमा को ध्यान में रखकर ही सीबीआई जांच की मंजूरी की बात कही होगी ।किंतु यदि उन्होंने बिना किसी कागजी कार्यवाही और दस्तावेजों की यह बात कही तो इस तरह की कच्ची बात करना भविष्य में उनकी गरिमा के लिए नुकसानदायक सिद्ध हो सकता है। राजनीति में पिछले काफी लंबे समय से इस तरह के जुमलों की बहुतायत हो गई है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस तरह की कई बड़ी बातें मंचों से बोल कर भूल जाते हैं जो भविष्य में पूरी न होने पर जुमला सिद्ध होती हैं। नरेंद्र मोदी के साथ एक सुविधा यह है कि वह भारी भरकम सिक्योरिटी के साथ किसी मंच से कुछ भी बोल सकते हैं और उन्हें देश की जनता आमने-सामने सवाल नहीं कर सकती किंतु उत्तराखंड एक छोटा सा राज्य है जहां हर गली मोहल्ले के व्यक्ति की मुख्य-मंत्री त्रिवेंद्र रावत से सीधी पहुंच और बातचीत है। वह कभी भी, कम से कम जनता दरबार में मुख्यमंत्री से जवाब- तलब कर सकता है। ऐसे में इस तरह की बातें यदि कोरी बयानबाजी साबित होती हैं तो सरकार की छवि के लिए अच्छा नहीं होगा। लोग सवाल उठाने लगे हैं कि यदि मुख्यमंत्री सीबीआई जांच की मंजूरी की बात सच मे कह रहे थे तो उन्हें जल्द से जल्द केंद्र सरकार पर यह दबाव डलवाना चाहिए कि सीबीआई NH 74 घोटाले की जांच के लिए नोटिफिकेशन जारी करने में और देरी ना करे। एक तथ्य यह भी है कि जिस दिन 14 जून को सीएम यह घोषणा कर रहे थे उस दिन भी एस आई टी ने घोटाले की जांच के लिए ताबड़तोड़ छापेमारी की थी।एस आई टी का रोल अब तक काबिलेतारीफ रहा है। एक तथ्य यह भी है कि हाईकोर्ट की डायरेक्सन के खिलाफ जाकर एन एच74मे सबसे बडी कार्रवाई करने वाले साफ छवि के अफसर को बीच जाँच से हटाकर शासन मे बुला लिया गया।यदि सीबीआई जल्दी यह केस अपने हाथ मे नही लेती तो उत्तराखंड में भाजपा की छवि को लेकर राजनीतिक प्रहार होते रहेंगे जो आगामी चुनावों में नुकसान पहुंचा सकता है।