परमार्थ स्वामी चिदानंद को तीन सप्ताह में अतिक्रमण हटाने के आदेश। सरकार ने न सुनी तो कोर्ट ने सुनाई
रिपोर्ट- कमल जगाती
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मुनि चिदानंद को झटका देते हुए उनके ऋषिकेश के आश्रम से तीन सप्ताह में अतिक्रमण को हटाने को कहा है। खंडपीठ ने ऋषिकेश के वीरपुर खुर्द-वीरभद्र में वन विभाग की 35 बीघा जमीन में सुरक्षित वन भूमि में अतिक्रमण सम्बन्धी जनहित याचिका पर अपना निर्णय सुनायाI। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रविकुमार मलिमथ और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई।
मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर न्यायालय से कहा कि, ऋषिकेश के निकट वीरपुर खुर्द वीरभद्र में मुनि चिदानंद ने रिज़र्व फारेस्ट की 35 बीघा भूमि पर कब्जा करके वहां पर 52 कमरे, एक बड़ा हॉल और गौशाला का निर्माण कर लिया है। चिदानंद के रसूखदारों से सम्बन्ध होने के कारण वन विभाग और राजस्व विभाग द्वारा इसकी अनदेखी की जा रही हैं। कई बार प्रशासन और वन विभाग को अवगत कराया गया। लेकिन किसी तरफ की कोई गतिविधियों पर रोक नही लगी। इसी कारण उन्हें जनहित याचिका दायर करनी पड़ी। याची ने इस भूमि को अतिक्रमणमुक्त कर सरकार को सौंपने की मांग की है।