इंद्रजीत असवाल
पौड़ी गढ़वाल : आपने सुना होगा कि जब ग़रीब पर मुसीबत टूटती है तो बुरी तरह से टूटती है उस मुसीबत से बचना मुश्किल हो जाता है , न सरकारी तंत्र साथ देता न जनप्रतिनिधि चारों और से रास्ते बंद हो जाते हैं।
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राज्य सरकार ने बिना व्याज लोन की योजना चलाई है और कई किसानों व पशु पालकों ने लोन लेकर काम भी शुरू किया आमदनी किसी की बढ़ी तो किसी के लिए मुसीबत भी बढ़ी।
यूकेडी के मीडिया प्रभारी शांति भट्ट ने भी सरकार से किसानों के नुकसान का मुआवजा बढ़ाने की मांग की है ताकि किसान खेती बाड़ी का दामन न छोड़ें।
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आज हम आपको यमकेश्रर ब्लाक के ग्राम डूँगा के निवासी बलदेव प्रसाद बडोला की कहानी से अवगत कराते हैं। इन्होंने अपनी इनकम बढ़ाने के लिए सहकारी समिति से बकरी पालन के लिए 1 लाख को लोन लिया, जिससे ये 8 बकरियां लाये लेकिन भगवान को इनकी इनकम बढ़ना मंजूर नहीं था।
बाघ में इनकी एक के बाद एक करके 8 बकरियों को मार दिया जिसमें से 7 का तो नामोनिशान भी नहीं मिला एक का मिला तो वन विभाग के अधिकारियों ने इन्हें 3 हजार मुहावजा देने की बात कही , अब बलदेव प्रसाद बडोला कहा से लोन चुकाए बकरियां भी नही रही अब बलदेव प्रसाद बडोला का कहना है कि उसे सभी बकरियो का मुआवजा मिलना चाहिए।
आपको एक बात और बता दें इस समय बकरी की कीमत 7 से 10 हजार के बीच है और वन विभाग का मुआवजा केवल 3 हजार।
स्थानीय समाजसेवी विपिन पेटवाल का सीधे सरकार और प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि न हीं कोई आज यमकेश्वर विधानसभा के अंदर खेती करने के लिए तैयार है नहीं पशुपालक गाय पालने के लिए।
किसान खेती करता है तो जंगली जानवर पूरा नष्ट कर देते हैं। पशुपालन गाय बकरी पाहले तो कभी उसके गाय को बाघमार देता है कभी बकरी को उन्हें बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है आज तक किसानों पशुपालकों कभी मुआवजा नहीं मिला और मुआवजा के नाम पर ठगा जाता है और उन्हें कागजों में उलझाया जाता है।
विपिन पेटवाल की प्रशासन से मांग है कि,-“भविष्य में इस तरह की दोबारा पशुपालन के साथ कोई बड़ी घटना नहीं हुई उससे पहले आतंक खोर बाघ को पकड़ कर दूसरे स्थान पर ले जाए और पशुपालक को उचित मुआवजा मिले एक बकरी कम से कम 15 से 20000 रुपए”