पहाड़ो में सरकारी भवन बने भुतहा खंडहर, कई पटवारी चौकियां व ANM सेंटर खंडहर में तब्दील
– विकासखंड रिखणीखाल के अंतर्गत ग्राम द्वारी में स्थापित दो सरकारी भवन खंडहर में तब्दील
पौड़ी। बात पहाड़ो की हो तो कॉंग्रेस या भाजपा दोनों के सत्ता में रहते हुए पहाड़ो पर कई विभागों के लिए भवनों का निर्माण बड़े स्तर से हुआ था। ताकि विभाग अपने भवनों में चल सके व स्थानीय ग्रामीणो को इसका फायदा मिल सके। क्योंकि पहले ऐसा होता था कि, सरकारी कर्मचारी दूर शहरों में रहकर भी ड्यूटी पूरी कर देते थे। महीने में एक आध बार ही या इमरजेंसी में ही क्षेत्रों में आते थे। इसके लिए सरकार द्वारा क्षेत्रो के सेंटरों पर ही भवनों का निर्माण करवाया गया था, पर आज भी कई जगहों में ये भवन खण्डरों में तब्दील हो गए हैं और सरकारी कर्मचारी किराए के भवनों में रहकर ही कार्य कर रहे हैं। आज हम आपको मुख्यमंत्री जी के गृह जनपद पौड़ी के विकासखण्ड रिखणीखाल के ग्राम द्वारी में स्थित इन दो खंडहर व जीर्ण-शीर्ण भवन जो आज से लगभग दस साल पहले दो भवनों का निमार्ण हुआ था।
इनमें से एक राजस्व उपनिरीक्षक( पटवारी) के कार्यालय, निवास व दूसरा प्राथमिक/उप स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्र स्थापना के लिए पर, बड़े अफसोस की बात है कि, इन दोनों भवनों का निर्माण के बाद उद्घाटन भी नहीं हुआ और कार्यालय भी स्थापित नहीं किए गए। ये दोनों भवन केवल सरकारी बजट को ठिकाने लगाने के लिए बना दिए गए। क्षेत्र के लोगों को इन भवनों के उद्देश्य की पूर्ति से वंचित रखा गया। इन दोनो भवनो की हालत आज की तिथि मे इतनी खराब है कि, भवनो के चारो ओर अक्वण्या की बड़ी-बड़ी झाडिया उग गयी है। इनमे लंगूर, बन्दर, जंगली जानवर व भूतों का आना जाना व निवास बन गया है। जब से ये भवन बने है किसी भी विभाग ने गृह प्रवेश तक नही किया।
आमतौर पर नेपाली व बिहारी मजदूरो का निवास भी बना रहता है। अब बात करते है कि, कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाने वाले पटवारी जी की कि वे कहाँ रहते है? पटवारी पैनो 3 जो कि ग्राम गाडियू पुल बाजार मे रहते है।जबकि उनके पास पांच छ ग्राम पंचायतो का प्रभार है। जैसे द्वारी, नावेतली, सिलगाव, तोलियोडाडा, कुइराली, महरकोट, उमेदुबाखल आदि जो कि, वर्तमान निवास से दस से बीस किलोमीटर दूर है। ऐसे मे पटवारी का इतने दूर रहने का क्या औचित्य है। ये भी मंथन व चिन्तन की आवश्यकता है। जबकि सरकारी भवन बने है जिस पर बन्दर, लंगूर आदि तान्डव मचा रहे है।
अब इसी प्रकार प्राथमिक/उप स्वास्थ्य केंद्र का भवन भी द्वारी में खंडहर में तब्दील हो गया है। स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ कागजों में हैं। जमीनी स्तर पर कुछ नहीं है। इन दोनो भवनो के खिड़की, दरवाजे तक गायब हो चुके है। कोई इन को व्यवस्थित करने के लिए तैयार नही है। अब इतनी बडी लागत के भवन वीरान व खंडहर पडे है। इन दोनों भवनों में कार्यरत एवं इन्हें खंडहर में तब्दील करने के लिए जिम्मेदार लोगों की पड़ताल की जाए और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। प्रश्न यह है कि क्या उत्तराखंड सरकार के अधिकारीगण, शासन, प्रशासन इन भवनो की सुध लेगा या ऐसे ही चलता रहेगा?