लूट : रेफरल सेंटर बनकर रह गये सरकारी अस्पताल। अस्पताल माफिया की गोद में सरकार।

प्रदेश में कैग ने लेखा परीक्षा के जरिए वर्ष 2014 से 2019 के बीच जिला अस्पतालों संयुक्त चिकित्सालय और महिला अस्पतालों का हाल जाना| जिससे यह सामने आया कि जिला अस्पताल रेफरल सेंटर बनकर ही रह गए हैं |

प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से निपटने में पूरी तरह असफल रही है | स्वास्थ्य सेवाओं में प्रदेश 21 राज्यों में से 17 वें स्थान पर है |  

प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल जानने के लिए शनिवार को सदन में नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक( कैग ) की जिला और संयुक्त चिकित्सालय की लेखा परीक्षा रखी गई| जिससे साफ तौर पर सामने आया कि,अस्पतालों में उपकरणों से लेकर डॉक्टर,नर्सों, दवा और पैथोलॉजी जांच की भारी कमी है| 

कैग की रिपोर्ट बता रही है कि,प्रदेश में लोगों के स्वास्थ्य क्षेत्र में जबरदस्त सुधार की जरूरत है | एक तरफ जहाँ संसाधनों की कमी है वही उपलब्ध संसाधनों का उपयोग भी सही तरीके से नहीं हो रहा है |साथ ही सरकार अस्पतालों का प्रबंधन करने में भी असफल  रही है| भवन से लेकर डॉक्टर,नर्स की कमी सामने आई है|    

साथ ही यह भी पता लगा है कि,राज्य सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में केंद्र की ओर से जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए मानक तय किए गए है उन मानकों को ही अपने यहां लागू नहीं किया है| एक जगह किसी तरह के मानक है तो कही और दूसरी तरह के|

प्रदेश में  होने  वाले संस्थागत प्रसव में भी कमियां  पायी  गयी  है |साल भर में प्रसव के दौरान मौत और गलत उपचार के मामले सामने आते ही रहते हैं |  कैग की रिपोर्ट से यह पुष्टि हुई है कि अस्पतालों में उपकरण और अन्य मानकों की कमियों के कारण यह हालात है, जो बद से बदतर हो रहे हैं| 

कैग की रिपोर्ट के अनुसार  जिला और संयुक्त अस्पताल में ट्रामा जैसे मामलों से निपटने की कमी है|अस्पताल माफिया ने इस तरह से आम जन को लुटा हुआ है कि, जो मुफ्त दवाइयां मरीजों को मिलनी चाहिए, उन्हें बाँटा नहीं जा रहा है ,जरूरी दवाओं की भारी कमी है |अस्पतालों को पता ही नहीं है कि,उन्हें क्या दवाई रखनी है और क्या नहीं| और तो और ओपीडी में परामर्श के लिये प्रत्येक मरीज को औसत 5 मिनट का समय ही बस दिया जा रहा है |  

युवा पहाड़ी कार्तिक उपाध्याय ने सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं पर  कहा कि,वाकई हकीकत हैं, जिला अस्पताल पहाड़ो पर मात्र रेफरल सेंटर ही तो हैं इलाज़ से इनका कोई लेना देना नहीं हैं।और ये हालात ऐसे में हैं, जब प्रदेश का मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्रालय स्वयं संभालता हैं।न सिर्फ़ उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के जिन राज्यों में डबल इंजन भाजपा की सरकार हैं यह ख़बर उन सभी के लिए चिंता जनक हैं।

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