रिपोर्ट- राजकुमार सिंह
पिछले 14 दिनों से लगातार जिला पंचायत परिसर में आंदोलनरत जिला पंचायत सदस्यों से जिला पंचायत अध्यक्ष की वार्ता एक बार फिर विफल हो गयी। पंचायत का आंदोलन हर रोज एक नए मोड पर आकर नए आरोप लगाता नजर आ रहा है।
जिला पंचायत सदस्यों द्वारा जिपं अध्यक्ष पर सदस्यों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि, जिला पंचायत अध्यक्ष लोकतंत्र की हत्या करा रही हैं।
उन्होने कहा कि, अध्यक्ष पंचायत एक्ट की अपने स्तर से ब्याख्या कर 55 फीसदी धनराशि को अपने विवेकाधीन कोष के तहत बांटने को सही बताने की बात उनकी तानाशाही है। आंदोलनकारी सदस्यों ने शीघ्र समाधान नही होने पर एक जुलाई से तालाबन्दी के साथ क्रमिक अनशन की चेतावनी दी है।
जिला पंचायत परिसर में आंदोलनरत सदस्यों से वार्ता को पहुँची जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देव की वार्ता फिर एक बार बेनतीजा रही। आंदोलनरत सदस्यों ने शासन से प्राप्त बजट सभी 19 जिपं क्षेत्रों में बांटने का लिखित आश्वासन देने की मांग पर अड़े रहे, लेकिन जिपं अध्यक्ष बसंती देव ने कहा कि, वही बात मानी जायेगी जो एक्ट मे लिखा हो। मामला तब बड़ गया जब ज़िप अध्यक्ष के द्वारा लाया गया एक्ट जिपं कार्यालय के एक्ट से भिन्न निकला।
धरने मे बैठे जिपं सदस्यों ने कहा कि, जिला पंचायत अध्यक्ष पंचायत एक्ट की गलत जानकारी उपलब्ध कराकर सदस्यों को गुमराह कर रही है इसलिए उन पर कार्यवाही की जानी चाहिए।
लगातार मीडिया में खबरों के आधार पर आरोप-प्रत्यारोप के बाद बुधवार दोपहर ज़िप अध्यक्ष बसन्ती देव पिछले 14 दिनों मे दूसरी बार कार्यालय पहुंची। कार्यालय पहुंचकर दैनिक कार्य निपटाने के बाद उपजिलाधिकारी योगेंद्र सिंह, तहसीलदार नवाजिश ख़लिक़,नायब तहसीलदार दीपिका आर्या अभियंता एस पी कोठियाल को साथ लेकर आंदोलनरत सदस्यों से वार्ता के लिए उनके सम्मुख पहुची।
सर्वप्रथम अध्यक्ष ने सदस्यों से आंदोलन की कोई पूर्व सूचना न दिये जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि मैं आपके अपने सदन की मुखिया हूँ। मुझे तो आपके द्वारा जानकारी दी जानी चाहिए थी। हम लोग अपने परिवार के झगड़े को परिवार के सदस्यों के सम्मुख ही सुलझाते, यूँ राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने देते।
इस पर आंदोलनरत सदस्यों ने बताया कि, आपके एमए को इसकी सूचना के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होने के बाद मजबूरन ये कदम बढ़ाना पड़ा। उन्होने कहा कि, यदि आपको परिवार के सम्मानित सदस्यों की बातों को सदन मे ही समय रहते सुन लिया होता तो आज यह दिन देखने मे नहीं आता।
काफी गहमागहमी के माहौल मे उपजिलाधिकारी वार्ता आगे बढ़ाने का भरसक प्रयत्न करते नजर आए। मामला तब बिगड़ गया जब समितियों के कार्यकाल को लेकर अध्यक्ष द्वारा अपने साथ लाई गई नई पंचायत नियमावली मे समिति के कार्यकाल को दो वर्ष का बताकर नियमसंगत करार दे दिया गया।
आन्दोलन पर बैठे सदस्यों ने इस नई नियमावली पर सवाल उठाते हुए इसका विरोध किया। अध्यक्ष अपने साथ लाई एक्ट और सदस्यो को दिए गए एक्ट दोनो मे समितियों के कार्यकाल को लेकर दी गयी बाते अलग अलग निकली। धरने मे बैठे सदस्यो ने एक्ट के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया।
उन्होंने प्रशासन से जिला पंचायत के एक्ट को सीज करने को कहा और एक्ट को लेकर कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज करने की बात कही। उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष के द्वारा दिए गए एक्ट को गलत बताया और सदस्यो को भ्रमित करने की बात कही।
मध्यस्थता कराने को बैठे उपजिलाधिकारी द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं देते हुए सुलह को लेकर आगे बड़ने की बात भी आसानी से हजम नहीं होती। आंखिर ऐसी कौन सी मजबूरी और दवाब उनके ऊपर था कि वह भी इस पूरे प्रकरण मे अध्यक्ष का पक्ष ही लेते नजर आए और धरने पर बैठे सदस्यों को समझाते नजर आए। उन्होने इतने विरोध के बाद भी बिना किसी जांच पड़ताल के इस एक्ट को पढ़ने की अनुमति दे दी, जो सदस्यों को भ्रमित करने के अलावा कुछ और साबित नहीं हुआ।
अध्यक्ष ने बताया कि, यह नया एक्ट है जो उन्हें पंचायती राज विभाग से मिला है। जो पूर्ण रूप से ठीक है, सदन के सभी कार्य इन्ही नियमों के आधार पर संचालित किए जा रहे हैं। इन सब बातों को आगे बढ़ाते हुए जब सदस्यों ने विवेकाधीन कोष का विरोध किया तो अध्यक्ष यह कहकर वहां से चलती बनी कि विपक्ष के सदस्य समाधान कि बात ही नहीं चाहते हैं और जनपद के विकास को अवरुद्ध करने मे लगे हैं। इस पर कोई सकारात्मक परिणाम नहीं नजर आने की स्थिति का अंदाजा लगते हुए उपजिलाधिकारी अपनी टीम के साथ वहां से जाने को जैसे ही तैयार हुए तो धरने पर बैठे सदस्यों ने इस एक्ट पर कार्यवाही करते हुए इसे सीज करने की मांग करी। जिस पर महोदय जैसे-जैसे इस की पुलिस एफआईआर का सुझाव देकर वहां से चलते बने।
उपजिलाधिकारी व उनकी टीम के साथ ही मध्यस्थता करने बैठे एएमए द्वारा बताया गया कि उनके पास एमए का चार्ज ही नही। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष द्वारा दिया गया एक्ट उनके द्वारा सदस्यो के सामने पड़ा गया। वही जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने बताया कि जिला पंचायत अध्यक्ष ने हमे गलत एक्ट दिखाया है जो एक्ट हमे जिपं के गठन दिया गया वो दोनो अलग अलग है। फिर भी इस पर जिला प्रशासन यह रुख दुर्भाग्यपूर्ण है। जब जनप्रतिनिधियों के साथ वागेश्वर जिला प्रशासन ऐसा व्यवहार कर रहा है तो आप सोच सकते हैं आम जन के साथ यहाँ क्या व्यवहार हो रहा होगा।
इस आन्दोलन को धीरे-धीरे जनपद के दर्जनों ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, सवाल संगठन के साथ ही विभिन्न संगठनो व राजनीतिक पार्टियों के साथ ही बाहरी समर्थन भी मिलता जा रहा है। राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा आन्दोलन स्थल में पहुंचकर आन्दोलन को समर्थन दे चुके हैं। उत्तराखण्ड के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आन्दोलन को समर्थन देते हुए इसके पक्ष मे सकारात्मक टिप्पणी की है। उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष व उत्तराखण्ड के जाने माने आंदोलनकारी पी सी तिवारी, बार एसोशिएसन के पूर्व अध्यक्ष गोविन्द सिंह भण्डारी, आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष बसंत कुमार आदि ने आन्दोलन को अपना समर्थन दिया है। अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महा सचिव पुरुषोत्तम शर्मा ने इस आन्दोलन को अपना समर्थन देते हुए किसान आन्दोलन स्थल से एक वीडियो सन्देश जारी करते हुए सत्ता की मनमानी के खिलाफ आपकी जीत की कमाना के साथ क्रांतिकारी अभिवादन प्रेषित किया।
जैसा की पूर्व विदित जिपं उपाध्यक्ष और आठ जिपं सदस्यों ने सामूहिक इस्तीफा देने की चेतावनी दी है। उन्होंने 55 प्रतिशत राशि विवेकाधीन कोष के नाम पर रखने, पदों से अधिक नियुक्ति करने, जिपं के चालकों से काम न लेकर संविदा पर तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मियों से वाहन चलवाने का आरोप लगाया। जिला पंचायत उपाध्यक्ष नवीन परिहार और आठ जिला पंचायत सदस्य 14 जून से जिला पंचायत परिसर में सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक धरना दे रहे हैं। सदस्यो ने जिपं अध्यक्ष के कक्ष के साथ ही जिपं के कार्यालयों में तालाबंदी भी की। उनका धरना 14 दिन से जारी धरना आज भी खत्म नही हुवा। उन्होने कहा कि सभी सदस्य ग़लत एक्ट के खिलाफ कार्यवाही करेंगे। इस दौरान जिला पंचायत सदस्य हरीश ऐठानी, सुरेंद्र सिंह खेतवाल, रूपा कोरंगा, इंदिरा परिहार, वंदना ऐठानी, गोपा धपोला, पूजा आर्या, रेखा देवी सहित उपजिलाधिकारी योगेंद्र सिंह, तहसीलदार नवाजिश ख़लिक़,नायब तहसीलदार दीपिका आर्या अभियंता एस पी कोठियाल, लेखाधिकारी गोविंद भौर्याल आदि मौजूद थे।