स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार में 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नगर निगम हरिद्वार से पूछा है कि उनको कितने पुस्तकालय दिए गए हैं ?
पूर्व के आदेश पर आज न्यायालय में सरकार की तरफ से सील बन्द लिफाफे में रिपोर्ट पेश की गई,जिसमें कहा गया कि सरकार ने नगर निगम को सभी पुस्तकालय दे दिए हैं जबकि नगर निगम ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उनको अभीतक 16 पुस्तकालयों में से केवल 5 पुस्तकालय ही दिए गए है। जिस पर कोर्ट ने नगर निगम से 14 दिसम्बर से पहले एक शपथपत्र पेस करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 14 दिसम्बर को होगी।
आज मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति एन.एस.धनिक की खण्डपीठ में हुई।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक के द्वारा विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था। पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट कर दी गई। लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया ।
इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया गया ।
याचिकाकर्ता का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया और विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट की गई।
जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है लिहाजा पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए।