उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के विशेषकार्याधिकारी( ओएसडी) दीपक डिमरी जी का हुआ निधन।कैंसर से पीड़ित थे दीपक डिमरी।प्रबल इच्छाशक्ति और राज्य के प्रति समर्पण के चलते निधन से 20 दिन पहले तक किया मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्य।
देहरादून के मिलन विहार स्थित आवास पर रखा है पार्थिव शरीर।दीपक जी के देहदान और नेत्रदान के पुनीत संकल्प के चलते नही होगा अंतिम संस्कार।मिलन विहार स्थित आवास पर कर सकते है अंतिम दर्शन
विधानसभा चुनाव में निभाई थी बड़ी भूमिका
जिले के विकासखंड जखोली के स्वीली सेम गांव (भरदार) का एक बेटा इन दिनों राज्य की सत्ता में अहम भूमिका अदा कर रहा था। जिले के इस बेटे को सीएम त्रिवेंद्र रावत ने अपना विशेष कार्याधिकारी चुना था। दीपक डिमरी ने यह मुकाम अपनी लगन, स्वच्छ छवि और समाजसेवा की भावना के रहते हासिल किया । डिमरी तीसरी बार सीएम के ओएसडी बने थे। इससे पहले वह खंडूड़ी सरकार और फिर निशंक सरकार में भी ओएसडी रह चुके थे। सबसे अहम बात यह है कि गंभीर बीमारी से जूझने के बावजूद डिमरी राज्य के विकास योजनाओं व ग्रामीणों के चहुंमुखी विकास का संकल्प लिए कार्य कर रहे थे।
दीपक डिमरी अभी महज 38 वर्ष के थे, लेकिन इस अवधि में ही उन्होंने समाज व प्रदेश सेवा में अच्छा-खासा मुकाम हासिल किया। दीपक डिमरी ने 1998 में संघ के प्रचारक के रूप में काम करना शुरू किया था। उन्होंने पौड़ी, पिथौरागढ़, देहरादून और चम्पावत में संघ प्रचारक के रूप में काम किया। सरल स्वभाव व मृदुभाषी दीपक की स्वच्छ छवि का परिणाम रहा कि उन्हें 2007 में भाजपा की सरकार बनने के बाद तत्कालीन सीएम मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी में सीएम का विशेष कार्याधिकारी यानी ओएसडी चुना गया। भाजपा के सीएम निशंक के कार्यकाल में भी दीपक डिमरी पर ही भरोसा किया गया।
चमोली से इंटर और ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय से बीएससी और एमए किया। अपने पिछले कार्यकाल के दौरान दीपक डिमरी ने रुद्रप्रयाग के विकास में अहम भूमिका अदा की थी। उन्होंने सुमाड़ी गांव में विद्युत सब स्टेशन स्थापित किया था। इसके अलावा जिले के तीस से भी अधिक स्कूलों को अपग्रेड करवाने में उनका सक्रिय योगदान रहा। उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में प्रदेश भर में 12 एडिड स्कूल खुलवाए, जिनमें से अकेले रुद्रप्रयाग में तीन थे। विधानसभा चुनाव के दौरान बतौर सह प्रशिक्षण प्रभारी दीपक डिमरी ने कुमाऊं और गढ़वाल में अपनी सांगठनिक क्षमता और कौशलता के बलबूते भाजपा को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। साथ ही उन्होंने पूरे प्रदेश में 23 जिलों के 70 मंडलों में पार्टी कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद भी स्थापित किया। वह पार्टी के एकमात्र ऐसे कार्यकर्ता थे, जिन्होंने प्रदेश के चप्पे चप्पे में भाजपा प्रत्याशियों के लिए काम किया। उनकी कार्य करने की क्षमता और जनता से सीधे जुड़ने की काबिलियत के कारण चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं के बीच वह पहली पसंद रहे। लोकसभा चुनाव में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।