उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी अपनी पदोन्नति से हुए परेशान।
खुशी के स्थान पर हुए मायूस,वर्तमान विश्वविद्यालय प्रशासन के भी मनसूबे हुए विफल –
कुलदीप एस. राणा
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय मे प्रतिनियुक्ति पर आये लम्बे समय से अपने कारनामों को लेकर भारी विवादों में रहे विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी मुकुल काला को उनके मूल विभाग( शिक्षा विभाग) ने मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के पद पर पदोन्नत कर दिया है। इसके आधार पर उनका स्थानांतरण भी हो गया है ।इसका आदेश निदेशक प्रारंभिक शिक्षा देहरादून आर. के. कुँवर ने कल 16 अक्टूबर को जारी कर दिया है। जिसमे उनके जैसे सभी पदोन्नत अधिकारियों को अपने नवीनतम तैनाती स्थलों पर 31 अक्टूबर तक योगदान कर विभाग को सूचित करने का निर्देश दिया गया है।
इसी सूची के क्रमांक संख्या 195 पर मुकुल काला का भी नाम है, जिनकी विश्वविद्यालय से प्रतिनियुक्ति समाप्त कर 31/10/17 तक उप शिक्षा अधिकारी ओखलकांडा के कार्यालय में योगदान करने का आदेश हुआ है।
इस कारण यह महाशय अपनी पदोन्नति से प्रसन्न होने के जगह मायूस नजर आ रहे हैं और सभी नियमों को ताक पर रख इनको संरक्षण प्रदान करने वाले इनके आकागण भी सदमे में हैं। क्योंकि इनके जाने के पश्चात इनके द्वारा किये गये घोटालों के पर्दाफाश होने की पूरी आशंका है। इससे इनके साथ- साथ इनके वर्तमान और पूर्व आकाओं को भी उलझने का डर सताने लगा है।
ज्ञात हो कि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में मात्र प्रशासनिक अधिकारी का ही पद सृजित है। परन्तु काला जी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी हैं और अब तो वह राजपत्रित अधिकारी स्तर के पद मुख्य प्रशासनिक अधिकारी पर पदोन्नति पा चुके हैं, जिसके कारण इन्हें अब नियमानुसार किसी भी तरह विश्वविद्यालय में नही रखा जा सकता है।
यह महाशय यहीं पर ही किसी भी पद पर बने रहना चाहते हैं, जिसके लिए यह अपने मूल विभाग और वर्तमान विश्वविद्यालय प्रशासन पर एन-केन-प्रकारेण दबाव बनाए हुए हैं। इनके मूल विभाग ने तो बिना दबाव में आये विश्वविद्यालय में इनका पद सृजित नहीं होने के कारण अपना रुख स्पष्ट करते हुए इनका तबादला कर दिया है। गौरतलब है कि मुकुल काला के खिलाफ तत्कालीन कुलपति सौदान सिंह तथा उपकुलसचिव से लेकर पूर्व कुलसचिव तक खरीद फरोख्त में व्यापक अनियमितता तथा मनमानी करने के लिए कई बार सचेत कर चुके हैं। उन पर फर्नीचर तथा कंप्यूटर उपकरण खरीद कर रफा-दफा करने की भी कई प्रकरण हैं।
अब देखना यह है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टालरेंस का दम भरने वाली सरकार इस विषय मे क्या निर्णय लेती है!