भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री के पद से हटाने के बाद से ही भाजपा से भी दरकिनार कर दिया है। त्रिवेंद्र सिंह रावत लंबे समय से उपेक्षित चल रहे हैं।
सियासी गलियारों में और भाजपाई खेमे में भी इस मुद्दे पर चर्चाएं तेजी पर हैं की क्या पूर्व सीएम त्रिवेंद्र को संग्रहालय की विषय वस्तु बना दिया है।
कहीं ना कहीं राज्यसभा का टिकट मिलने की एक उम्मीद त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए बची हुई थी लेकिन कल भाजपा ने राज्यसभा की एकमात्र सीट के लिए डॉक्टर कल्पना सैनी को प्रत्याशी घोषित करके उस उम्मीद को भी चकनाचूर कर दिया, जिसके बाद से यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा हाईकमान नहीं चाहता कि वर्तमान सीएम पुष्कर सिंह धामी को किसी भी नेता से किसी भी प्रकार की कोई चुनौती मिले।
सीएम बनने के बाद से ही साथी मंत्रियों के साथ ही आरएसएस के लोगों को भी त्रिवेंद्र से निराशा ही हाथ लगी। जिसके चलते भाजपा हाईकमान ने उन्हें सत्ता छोड़ने का फैसला सुना दिया।
त्रिवेंद्र को कुर्सी से हटाने के बाद से ही उनके द्वारा किए गए फैसलों को लगातार पलटा गया। साथ ही त्रिवेंद्र के विरोध को भी नहीं सुना गया ।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र की हालत ऐसी हुई की विधानसभा 2022 के चुनाव में जब सियासी गलियारों में चर्चा तेज हुई कि उन्हें विधानसभा का टिकट नहीं दिया जाएगा तो त्रिवेंद्र ने हालातों को देखकर पहले ही अपने हाथ खींचते हुए विधानसभा चुनाव ना लड़ने की बात कह दी। उसके बाद उन्हें विधानसभा चुनाव 2022 के प्रचार प्रसार में भी कोई ज्यादा खास जगह नहीं मिली।