स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):–
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने टूरिज्म डवलमेंट बोर्ड और राज्य सरकार द्वारा रानीबाग से नैनीताल के लिए प्रस्तावित रोपवे के मामले में सुनवाई करते हुए नैशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया(
एन.एच.ए.आई.)से 45 दिन के भीतर एक प्रपोजल पेश करने को कहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ ने प्रो.अजय रावत की जनहित याचिका पर सुनवाई की।
खंडपीठ ने एन.एच.ए.आई.को शपथपत्र के माध्यम से सम्पूर्ण कागजातों के साथ प्रपोजल पेश करने को कहा है।
आज सुनवाई के दौरान एन.एच.ए.आई.की तरफ से कहा गया कि उन्होंने मार्च 2022 में जर्मन ऑस्ट्रेलियन कम्पनी को सर्वे के लिए 9 करोड़ रुपये का ठेका दे दिया है। एन.एच.ए.आई.इस प्रोजेक्ट का नए सिरे से सर्वे कराएगी। पूरे प्रोजेक्ट का भूगर्भिय सर्वेक्षण किया जाएगा। पुराने प्रोजेक्ट में चार स्टेशन बनाने का प्रपोजल था। अगर बेस स्टेशन के लिए भूमि पक्की नही मिलती है तो इसे दूसरी जगह बेस स्टेशन बनाया जा सकता है, चाहे कितने भी स्टेशन बनाने पड़े। शरुआती दौर में यह प्रोजेक्ट 12 किलोमीटर का है। नए सिरे से डी.पी.आर.तैयार किया जाएगा। इसके लिए उन्हें प्रपोजल व शपथपत्र पेस करने के लिए समय दिया जाय। जिसपर न्यायालय ने एन.एच.ए.आई.को 45 दिन का समय दिया ।
मामले के अनुसार नैनीताल निवासी पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि टूरिज्म डवलमेंट बोर्ड और राज्य सरकार द्वारा रानीबाग से नैनीताल के लिए रोपवे का निर्माण प्रस्तावित है। रोपवे के लिए निहाल नाले और बलिया नाले के मध्य मनोरा पीक पर निर्माण कार्य होना है । ये दोनो नाले भूगर्भीय रिपोर्ट के आधार पर अतिसंवेदनशील हैं। लिहाजा यहा किसी भी प्रकार का निर्माण नही किया जा सकता। पूर्व में भी न्यायालय ने हनुमानगढ़ी क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य पर रोक लगाई थी । याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि वे रोपवे के विरोध में नहीं है बल्कि रोपवे के निर्माण से पहले इसकी विस्तृत भूगर्भीय जाँच कराई जाए।