चार महीने पहले उत्तराखंड के जो बेरोजगार कड़ी मेहनत के बाद उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से परीक्षा पास कर वैयक्तिक सहायक बन गए थे तथा अपने घर वालों और मोहल्ले पड़ोस वालों को मिठाइयां खिला रहे थे, अब उनके चेहरों की बेनूरी का हल किसी के पास नहीं है।
सरकारी विभागों की संवेदनहीनता के कारण अब इनकी नौकरी पर बन आई है। अभिलेख सत्यापन के समय पर महज एक अनावश्यक सर्टिफिकेट इन के पास ना होने के कारण इनकी नौकरी पर बन आई है। यह सभी अभ्यर्थी सभी राजनेताओं के पास जा कर थक गए हैं लेकिन राजनेताओं से लेकर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग तक कुछ भी करने की स्थिति में अब नहीं है। यदि इन्हें सीसीसी सर्टिफिकेट से छूट दी जाती है तो वे अभ्यर्थी जो ऐसा सर्टिफिकेट होने के बाद भी चयन से रह गए थे, वह कोर्ट जा सकते हैं। आयोग के पास यह नियुक्ति निरस्त करने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं बचा। बहरहाल इन्हें अपना पक्ष रखने के लिए 29 अक्टूबर तक का समय दिया गया है।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा चयनित 73 आशुलिपिक और वैयक्तिक सहायकों की नियुक्ति निरस्त होने के पूरे-पूरे आसार हैं।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा 20 नवंबर 2015 को आशुलिपिक / वैयक्तिक सहायक के 175 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया आरंभ की गई थी।एक साल बाद 6 नवंबर 2016 को इस पद के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की गई।
26 मार्च 2017 को इनका टाइपिंग टेस्ट हुआ था। और 15 तथा 16 जून 2017 को इनकी आशुलेखन की परीक्षा संपन्न हुई थी। 120 अभ्यर्थियों को तीन परीक्षाओं के उपरांत अभिलेख सत्यापन के लिए चयन कर आमंत्रित किया गया। 120 में से 114 अभ्यर्थी सत्यापन के लिए उपस्थित हुए। अभिलेख सत्यापन से पूर्व कुछ अभ्यर्थियों ने यह अनुरोध किया कि आयोग द्वारा उनका चयन सिंचाई विभाग के लिए किया गया है किंतु उनके पास इस विभाग के लिए अनिवार्य सीसीसी सर्टिफिकेट नहीं है। इस विषय को आयोग की बैठक में 6 सितंबर 2017 को रखा गया। इन 176 में से 52 पद सिंचाई विभाग के हैं। एवं अधियाचन में नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा सीसीसी कंप्यूटर प्रमाण पत्र को अनिवार्य अहर्ता बताया गया है। सिंचाई विभाग के लिए चयनित होने वाले अभ्यर्थियों द्वारा प्रथम द्वितीय व तृतीय विकल्प के रूप में सिंचाई विभाग को चुना गया। कई अभ्यर्थी ऐसे हैं जिनका चयन सिंचाई विभाग से भिन्न विभाग के लिए हुआ है, किंतु उन्होंने चौथे पांचवें विकल्प के रुप में सिंचाई विभाग का विकल्प दिया है।
इस प्रकार इन सभी अभ्यर्थियों ने सीसीसी कंप्यूटर प्रमाण पत्र की वैधता पूर्ण न होने के बावजूद किसी न किसी क्रम पर सिंचाई विभाग का विकल्प चयन किया है।
आयोग ने भी अपनी बैठक में यह निर्णय लिया कि समानता की दृष्टि से यह सभी चयन निरस्त कर दिए जाएं। क्योंकि इन सभी अभ्यर्थियों ने गलत घोषणा और आवेदन पत्र में गलत जानकारी दी थी। जिन अभ्यर्थियों ने सिंचाई विभाग या ग्रामीण निर्माण विभाग में निर्धारित तथा विज्ञप्ति में प्रकाशित अनिवार्य अहर्ता को पूर्ण न करने के बावजूद इन 2 विभागों का विकल्प भरा है, उन सभी का अभ्यर्थन निरस्त किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि अभिलेख सत्यापन में उपस्थित 114 अभ्यर्थियों में से 73 अभ्यर्थी ऐसे पाए गए, जिनके द्वारा सिंचाई विभाग व ग्रामीण निर्माण विभाग या दोनों में से एक विभाग का विकल्प भरा गया है। किंतु उनके पास सीसीसी प्रमाणपत्र नहीं है।
बहरहाल इन सभी अभ्यर्थियों का अभ्यर्थन निरस्त करने से पहले उनको उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने एक बार सुनवाई का अवसर दिया है ।यदि इस निर्णय पर वह कोई अपना पक्ष या मंतव्य रखना चाहते हैं तो आयोग को 15 दिन के भीतर वह अपना लिखित पक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। 29 अक्टूबर 2017 तक प्राप्त आवेदनों प्रत्यावेदन पर ही विचार किया जाएगा। इसके उपरांत इस संबंध में आयोग द्वारा अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा। जाहिर है कि इन सभी सभी अभ्यर्थियों की सूची वेबसाइट पर प्रकाशित कर दी गई है और अपना पक्ष रखने के लिए 29 अक्टूबर 2017 तक का समय दिया गया है।
पर्वतजन ने पहले भी पाठकों के संज्ञान में यह बात लाई थी कि एक ही पद,एक ही पद नाम तथा एक ही वेतनमान के साथ ही एक ही काम के लिए अलग-अलग विभागों में चयन के अलग-अलग मानक रखे गये हैं।
कोई विभाग वैयक्तिक सहायक के लिए सिर्फ मान्यता प्राप्त निजी इंस्टिट्यूट से कंप्यूटर टाइपिंग का प्रमाण पत्र मांग रहा है। तो किसी ने एकदम आले दर्जे का विशेषज्ञ प्रमाणपत्र सीसीसी सर्टिफिकेट मांगा है। तो किसी विभाग ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित होने वाले कंप्यूटर प्रशिक्षण का प्रमाणपत्र मांगा है। जबकि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ऐसा कोई कंप्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित ही नहीं करता।
जाहिर है कि सरकारी विभागों को यह पता ही नहीं है कि उन्हें इस पद के लिए किस योग्यता का व्यक्ति चाहिए और उस तरह की योग्यता की जरुरत भी है या नहीं।
जब इन सरकारी विभागों के आला अफसरों तथा नेताओं को अपने चहेतों को भर्ती करना होता है, तब जिन्हें कंप्यूटर का क- ख- ग भी पता नहीं होता, उन्हें भी बैक डोर से भर्ती कर लिया जाता है और जब सीधे रास्ते से भर्ती करने की नौबत आती है तो अनावश्यक डिग्रियां आंख मूंदकर मांग ली जाती है।
जाहिर है कि नौकरी की आस लगाए बैठे इन बेरोजगारों की नौकरियां जानी अब तय है। सरकारी विभाग अभी भी नहीं चेत रहे हैं। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में आजकल फिर से भर्तियां हो रही हैं। इसी तरह के पदों पर फिर से सीसीसी सर्टिफिकेट जैसी मनमानी योग्यताएं मांगी गई है। जाहिर है कि यदि अब भी सरकारी महकमों को जरूरी दिशा-निर्देश नहीं दिए गए तो आने वाले समय मे फिर से बेरोजगारों के अरमानों पर पानी फिरना तय है।