नियुक्ति प्रक्रिया के अहम दस्तावेज गायब करने वाला पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एवं पूर्व मुख्य सचिव ओमप्रकाश का चहेता गोविन्द बल्लभ पन्त इन्जनियरिग संस्थान घुडदौडी जनपद पौडी गढवाल के पूर्व रजिस्ट्रार संदीप कुमार उर्फ हाकम सिंह पर आखिर सरकार कब कार्यवाही करेगी!
संदीप कुमार ने वर्ष 2018-19 में हुई शिक्षको एवं कुलसचिव पदो पर नियुक्ति/ साक्षात्कार प्रक्रिया के सरकारी महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब कर दिये थे। जिस सम्बन्ध में शासन स्तर से उच्चस्तरीय एस0 आई0 टी0 जाँच के आदेश पारित किये गये थे।
इस मामले में एसआईटी द्वारा संदीप कुमार को दिनांक 12-09-2022 को गिरफ्तार किया गया एवं दिनांक 23-09- 2022 को संदीप कुमार को जिला जज के कार्यालय से जमानत पर रिहा कर दिया गया,जबकि जिन धाराओं में संदीप को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था उस संबंध में पुलिस द्वारा न तो संदीप कुमार को पुलिस रिमांड पर लिया गया, और ना ही उनसे शिक्षकों की अवैध नियुक्ति संबंधी मूल अभिलेख प्राप्त किए गए, इससे कहीं ना कहीं यह स्पष्ट हो जाता है कि संदीप को अवैध नियुक्तियों के भ्रष्टाचार में अभी भी उनके आकाओं द्वारा बचाया जा रहा है।
वर्ष 2018 एवं वर्ष 2019 में संस्थान में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेन्ट प्रोफेसरों के लगभग 55-60 पदों पर अवैध नियुक्तियाँ की गई। इस सारी भर्ती प्रक्रिया को सन्दीप कुमार द्वारा सम्पन्न करवाया गया था, जिसमें प्रति अभ्यर्थी 30-30 लाख रूपये की अवैध धनराशि एकत्रित करते हुए शासन / प्रशासन से मिलीभगत करते हुए नियुक्तियों में आरक्षण नियमों का अनुपालन किये बगैर निम्न मैरिट के अयोग्य अभ्यर्थियों को कॉलेज स्तर पर ही अपने चहेते शिक्षक द्वारा तैयार किये गये प्रश्न पत्रों को चयनित होने वाले सभी अभ्यर्थियों को सुनियोजित तरीके से एक ही परीक्षा कक्ष में बैठाकर नकल करवाते हुए चयन की कार्यवाही सम्पन्न करवायी गयी। जिसके साक्ष्य तत्समय परीक्षाकक्ष में लगे सी०सी० टी०वी० में उपलब्ध है। जिसमें संदीप कुमार परीक्षा कक्ष में खुलेआम घूमकर चयनित होने वाले अभ्यर्थियों को पूर्व में हल किये गये प्रश्न पत्रों की नकल करवा रहा है। जबकि संदीप कुमार तत्समय न तो चयन समिति का सदस्य था और न ही परीक्षा नियंत्रक।
इन्हीं शिक्षकों की नियुक्ति के साथ-साथ ही वर्ष 2019 के साक्षात्कार में संदीप कुमार द्वारा अपनी भी अवैध नियुक्ति संस्थान में रिक्त कुल सचिव के पद पर करवा ली गई, जबकि वे उक्त पद की शैक्षिक अर्हता पूर्ण नहीं करते। जिसे प्राप्त शिकायतों एवं जाँच के उपरान्त कॉलेज की प्रशासकीय परिषद की दिनांक 14-5-2022 को हुई 31वीं बैठक में निरस्त कर दिया गया था। जिसके विरूद्ध संदीप कुमार द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, नैनीताल में रिट याचिका दायर की गई।
जिस पर सुनवाई के मध्य संदीप कुमार द्वारा अपनी कुल सचिव के पद पर हुई नियुक्ति से सम्बन्धित तथ्यों को छुपाते हुए माननीय न्यायालय में गलत तथ्य प्रस्तुत किये जाने के कारण उक्त रिट याचिका दिनांक 4-8-2022 को निरस्त की जा चुकी है।
इससे स्पष्ट हो जाता है कि संदीप कुमार द्वारा कॉलेज में अपनी अवैध नियुक्ति के साथ ही शिक्षको की भी अवैध नियुक्तियाँ करवायी गयी है। परन्तु अभी तक बिना मानकों के अवैध रूप से नियुक्त शिक्षकों के सम्बन्ध में शासन द्वारा कोई अपेक्षित कार्यवाही न होने के कारण उक्त साक्षात्कार में सम्मिलित योग्य अभ्यर्थियों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में 10-12 रिट याचिकायें योजित की जा चुकी है जिनमें एक पी०आई०एल० भी योजित की गयी है। जिसमें संदीप कुमार द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हुए मानकों के विपरीत शिक्षकों की अवैध नियुक्तियों की जॉच सी0बी0आई0 से कराने की माँग की गई है।
वर्तमान समय में संदीप कुमार (बर्खास्त कुल सचिव ) / प्रभारी ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेन्ट अधिकारी शिक्षकों की नियुक्ति से सम्बन्धित महत्वपूर्ण पत्रवालियाँ (स्कोरशीट) जिसमें चयन समिति के द्वारा चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति हेतु योग्य घोषित किया गया है की मूल प्रत्रावलियों को लेकर विगत एक वर्ष से संस्थान से अनुपस्थित चल रहा है। इस सम्बन्ध में संस्थान द्वारा दिनांक 30-10-2021 को कोतवाली पौड़ी में संदीप कुमार के विरूद्ध सरकारी दस्तावेजों को गायब करने के सम्बन्ध में आवश्यक कानूनी कार्यवाही किये जाने हेतु धारा-409, 477 (ए) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
संदीप कुमार द्वारा संस्थान में किये गये भ्रष्टाचार एवं अवैध नियुक्तियों किये जाने के सम्बन्ध में विभिन्न क्षेत्रीय संगठनों के जनप्रतिनिधियों द्वारा मा० मुख्यमंत्री जी से मुलाकात करते हुए प्रकरण की निष्पक्ष जाँच एजेन्सी द्वारा जॉच कराये जाने का अनुरोध किया गया था। मामले की गम्भीरता को देखते हुए मा० मुख्यमंत्री जी द्वारा दिनांक 29-11-2021 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पौड़ी गढ़वाल की अध्यक्षता में प्रकरण की निष्पक्ष जाँच हेतु (विशेष जांच दल) एस०आई०टी० का गठन किया गया है। जिसमें सदस्य के रूप में पी०एल० टम्टा पुलिस उपाधीक्षक पौड़ी, महेश रावत पुलिस उपनिरीक्षक, पौड़ी एवं तकनीकि विशेषज्ञ के रूप में आरती गुप्ता कुलसचिव तकनीकी विश्वविद्यालय देहरादून को नामित किया गया। अवैध नियुक्ति प्रकरण में तत्कालीन चयन समिति के सदस्य सचिव डॉ एमपीएस चौहान प्रभारी निदेशक द्वारा अपने प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति करवाते हुए भदोरिया को प्रोफेसर के पद पर अवैध नियुक्ति प्रदान कर दी गई जबकि ए०आई०सी०टी०ई० के मानकों के अनुरूप प्रोफेसर के पद हेतु एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर तीन वर्ष का कार्यानुभव आवश्यक है। इसी प्रकार कम्प्यूटर साईंस विभाग में असिस्टेन्ट प्रोफेसर की अनु०जाति हेतु आरक्षित 01 पद के सापेक्ष 02 अभ्यर्थियों की अवैध नियुक्तियाँ की गई है।
वर्ष 2019 में संस्थान में हुये शिक्षकों की नियुक्तियों से सम्बन्धित मूल अभिलेख (स्कोरशीट) जिसमें साक्षात्कार एवं परीक्षा के अंकों को जोड़ते हुए अन्तिम चयन सूची बनायी गयी है। जिसमें शासन द्वारा चयन समिति हेतु नामित पर्यवेक्षक बेदीराम संयुक्त सचिव तकनीकी शिक्षा उत्तराखण्ड शासन एवं संस्थान की तत्कालीन निदेशक डॉ०एम०पी०एस० चौहान के हस्ताक्षर है, इसी अन्तिम रूप से हस्ताक्षरित सूची के अभ्यर्थियों को डॉ०एम०पी०एस० चौहान द्वारा नियुक्ति पत्र जारी किये गये है की मूल पत्रावली अभी भी गायब है।
जाँच समिति द्वारा आज दिनांक तक तत्कालीन निदेशक डॉ०एम०पी०एस० चौहान जिनके द्वारा संस्थान में अवैध नियुक्तियां की गई है को न तो जाँच समिति के सम्मुख बुलाया गया है और न ही उनसे उक्त प्रकरण में कोई पूछताछ की गई है, जबकि डॉ० एम०पी०एस० चौहान उक्त चयन समिति के सदस्य सचिव है और उनके द्वारा शिक्षकों के साक्षात्कार में सम्मिलित होते हुए अन्तिम रूप से अभ्यर्थियों की चयन सूची के प्राप्त अंकों में हेरा फेरा करते हुए अन्य अभ्यर्थियों के साथ ही अपनी पुत्री एवं दामाद के भी अवैध नियुक्ति पत्र जारी किये गये है।
संस्थान की स्थापना काल से अब तक प्रथम बार शिक्षकों के साक्षात्कार में लिखित परीक्षा का प्राविधान किया गया है। जिसके लिए नियमानुसार परीक्षा पेपर बाहरी एजेन्सी द्वारा तैयार किये जाने चाहिए थे जबकि उक्त प्रश्न पत्र संदीप कुमार ने अपने चहेतों से तैयार कराएं।
संदीप कुमार द्वारा लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार परीक्षा के अंकों (स्कोरशीट) की मूल पत्रावलियो में छेड़छाड़ करते हुए अवैध नियुक्तियाँ की गई है। इसलिए संदीप कुमार द्वारा उक्त मूल अभिलेख उपलब्ध नहीं करवाये जा रहे है। जाँच समिति द्वारा यदि निष्पक्ष रूप से उपरोक्त तथ्यों की शक्ति से जाँच की जाये तो वास्तविक स्थिति स्वतः ही स्पष्ट हो जायेगी। साथ ही भ्रष्टाचार में लिप्त अभियुक्त की वास्तविक पहचान करते हुए कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।