भूपेंद्र कुमार//
भ्रष्ट अभियंता सीरीज़ की अगली कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, उत्तराखंड के एक ऐसे भ्रष्ट जेई के बारे में जिसके साथ उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता एचके उप्रेती की सीधी मिलीभगत है।
खुद को pwd चीफ एच के उप्रेती का दत्तक पुत्र बताने वाला यह अभियंता पूरे लोक निर्माण विभाग पर भारी है। त्रेपन सिंह राणा नाम के इस जेई को 8 मार्च 2017 को विजिलेंस विभाग ने रंगे हाथों पकड़ा था।
यह अभियंता एक माह तक जेल में रहा। लेकिन लोक निर्माण विभाग के मुखिया को यह गवारा नहीं हुआ कि उनका दत्तक पुत्र बाहर हो जाए। ऐसे में उनकी बड़ी कमाई बंद हो जाती। उन्होंने त्रेपन सिंह राणा को फिर से विभाग में बहाली के लिए शासन में पैरवी शुरू कर दी है। इस भ्रष्ट जेई को बहाल करने के लिए उत्तरकाशी से जीरो टोलरेंस की सरकार के भाजपा विधायक गोपाल सिंह रावत ने भी शासन को पत्र लिखकर पैरवी की है।इस भ्रष्ट जेई के खिलाफ जांच की फाइल दबा दी गई है। हालांकि शासन ने कई दिन पूर्व जेई के खिलाफ जांच करने के लिए पीडब्ल्यूडी के तकनीकी सलाहकार ललित मोहन पंत की अगुवाई में जांच कमेटी बनाने के निर्देश दिए है किंतु अभी तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
इस लोक निर्माण विभाग के संविदा जेई को विभाग ने 26 करोड़ 45 लाख रुपए के निर्माण कार्य सौंपे और उसने इस में जमकर घोटाला किया।
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इस धन से लगभग 291 अनुबंधों में जेई ने करोड़ों रुपए का वारा न्यारा कर दिया।
इसमें विभाग के कई अधिकारियों की भी मिलीभगत रही है। राणा ने निर्माण कार्यों की एमबी में फर्जी माप दर्शाकर अपने निजी रिश्तेदार ठेकेदारों के साथ सांठगांठ करके करोड़ों रुपए का गबन किया है। किंतु लोक निर्माण विभाग के उच्चाधिकारियों की सीधी मिलीभगत से यह मामला दबा दिया गया। राणा द्वारा संपन्न कराई गई कई योजनाएं ऐसी हैं, जिसमें एक ही योजना में कई मदों से धन स्वीकृत करवाकर एक ही योजना में कई अनुबंध किए गए हैं। लगभग सभी योजनाओं में बिना निविदाएं निकाले तत्काल अनुबंध किए गए हैं और तत्काल पांच सात दिनों के अंदर भुगतान भी किया गया है। यह सीधे-सीधे गबन है। बिना निविदा के ठेकेदारों के नाम अनुबंध कर एमबी में फर्जी माप दर्शाकर धन हड़प लिया गया है।
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पैदल बटिया और सुरक्षा कार्यों के नाम पर विभाग और ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर राणा ने 26 करोड़ 45लाख रुपए का बजट ठिकाने लगाया है।
रिश्तेदारों को दिए करोडों के ठेके
जगमोहन सिंह राणा नाम का ठेकेदार पुरोला के फिताड़ी गांव का रहने वाला है और जेई त्रेपन सिंह राणा के मामा का लड़का है। इन दोनों की ससुराल एक ही गांव खन्यासणी के एक ही घर में है। दोनों की मिलीभगत से 81अनुबंध जगमोहन के नाम किए गए हैं। कई अनुबंध बिना निविदा के गोपनीय रूप से किए गए हैं। इन 81 अनुबंधों की लागत 4,70,90909 है।
विभागीय नियम के अनुसार ठेकेदार विभाग में अनुबंध के समय यह शपथ पत्र देना होता है कि विभाग में मेरा कोई निजी रिश्तेदार नहीं है।
जेई त्रेपन सिंह राणा ने अपने एक और रिश्तेदार प्रताप सिंह चौहान को भी करोड़ों के काम दिए और अनुबंध की लागत से अधिक धन भी कई योजनाओं पर खर्च किया। उसके साथ भी जेई राणा की कमीशन में सीधी भागीदारी थी। इसलिए अनुबंध के एक हफ्ते के अंदर ही उनका भुगतान भी कर दिया जाता था। भुगतान के बिलों में ठेकेदारों के हस्ताक्षर तक नहीं होते थे। इसको ज्यादातर सुरक्षात्मक कार्य और नाली निर्माण के कार्य दिए गए।
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जेई राणा का एक और चहेता ठेकेदार प्रहलाद सिंह रावत है। यह भी त्रेपन सिंह राणा का रिश्तेदार है और राणा का चहेता ठेकेदार है। इसको भी राणा ने विभिन्न योजनाओं से एक ही काम के लिए अलग-अलग मदों से ठेके दिए और बिलों पर हस्ताक्षर न होने के बाद भी उनका हफ्ते भर या 15 दिन में भुगतान तक कर दिया। संभावित रूप से इसमें लगभग करोड रुपए से अधिक का गबन किया है।
एक ही काम मे दर्जनों योजनाओं से गबन
राणा ने कई विकास योजनाओं से एक ही काम करना दिखा कर करोड़ों रुपए का गबन किया है। उदाहरण के तौर पर जगमोहन सिंह राणा को देवसारी खड्ड मे रक्षात्मक कार्य के नाम पर 5 अलग-अलग योजनाओं से 12 मीटर पुलिया का सुरक्षा कार्य MB में फर्जी माप दिखाकर 31,00000 रूपये गबन कर लिए गए। एक और उदाहरण देखिए 18 मीटर आरसीसी पुल का 7 बार अलग-अलग योजनाओं से अनुबंध दिखाया गया और MB में फर्जी माप कर के धन का गबन कर लिया गया। जखोली वाड़ी पैदल मार्ग बैंचाखड्ड में भी 15 मीटर पुल का सुरक्षा कार्य दो बार अलग अलग मद से दिखाकर धन का गबन किया गया।
यही नहीं मसरी में 50 मीटर झूला पुल का सुरक्षा कार्य 5 बार अलग-अलग योजनाओं से अनुबंध कर दिखा कर 36,00000 रूपये गबन कर दिए गए।
इस तरह से कई मोटर मार्ग में पुलों, नालियों आदि के सुरक्षा कार्यों के नाम पर कभी जिला योजना, कभी वार्षिक अनुरक्षण तो कभी s p a r तथा कभी दैवी आपदा, बाढ़ भूस्खलन और विशेष मरम्मत जैसी एक दर्जन मदों से धन स्वीकृत करा कर सीधे गबन कर लिया गया है।
शासनादेश के अनुसार ठेकेदार विभाग में रिश्तेदार के साथ कार्य नहीं कर सकता है। त्रेपन राणा के लिए विभाग ने इस शासनादेश को भी दरकिनार कर दिया एक और खुलासा हुआ है कि त्रेपन सिंह राणा की सभी ठेकेदारों के साथ निर्माण कार्यों में सीधे हिस्सेदारी तय थी।
5 वर्षों के इस कार्यकाल में जेई राणा को विभाग ने उन्हीं का गृह क्षेत्र ग्राम फिताड़ी, पंचगाई पट्टी और ससुराल का क्षेत्र फतेह पर्वतजन भी सौंपा था। नियमानुसार जेई राणा को गृह क्षेत्र नहीं सौंपा जा सकता था। लेकिन विभाग ने शासन के नियमों को भी दरकिनार कर दिया। जेई राणा को संविदा पद में विभाग ने पुनः वापसी की मांग कर पत्रावली शासन में भेजी हुई है और सभी अफसर विभागीय प्रमुख एचके उप्रेती के साथ मिलकर जेई राणा की पैरवी कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप भट्ट कहते हैं कि जब जीरो टॉलरेंस का नारा देने वाली भाजपा सरकार के विधायक गोपाल सिंह रावत जी पैरवी में जुटे हैं तो भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही की बात कहना बेमानी है। देखना यह है कि डबल इंजन इस विषय पर क्या एक्शन लेता है।
प्रिय पाठकों! आपकी सुविधा तथा सुलभ संदर्भ के लिए इसी स्टोरी के बीच में हमने पार्ट 1, पार्ट 2 तथा पार्ट 3 के लिंक भी उपलब्ध कराए हैं। पार्ट 1तथा पार्ट 2 मे आपने पढ़ा कि किस तरह से भ्रष्ट इंजीनियरों को शासन तथा सरकार के मंत्री न सिर्फ बचा लेते हैं बल्कि उनकी मुकदमे वापसी के लिए भी पूरी पैरवी करते हैं। पार्ट-3 में आपने पढ़ा कि किस तरह से एक ठेकेदार जेई की शह पर फर्जी ठेकेदारी का लाइसेंस और फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बना कर करोड़ों के ठेके हासिल कर लेता है। पार्ट 4 में आपने पढ़ा कि किस तरह से भ्रष्ट इंजीनियर को उसका विभाग और जनप्रतिनिधि बचाने की कोशिश करते हैं। आप से अनुरोध है कि पर्वतजन की जो भी खबरें आपको पसंद आती हैं, आप उन पर अपनी बहुमूल्य राय जरूर दीजिए तथा अधिक से अधिक शेयर कीजिए। इससे लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी। यदि आपके पास भी इस तरह के भ्रष्टाचार के कोई उदाहरण हैं तो भ्रष्ट गठजोड़ को बेनकाब करने के लिए अपने प्रिय पर्वतजन का सदुपयोग कर सकते हैं।
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