बड़ी खबर : अन्तराष्ट्रीय सीमा पर कोविड संक्रमण के खतरे से निपटने के नहीं है कोई इंतज़ाम

पिथौरागढ़ :: महेश पाल                     

भारत-नेपाल अन्तराष्ट्रीय झूलपुलों से सैकड़ों नागरिक प्रतिदिन आवागमन करते हैं।इन संवेदनशील जगहो पर कोरोना संक्रमण को रोकने के लिऐ स्वास्थ्य विभाग की कोई तैयारी नही दिख रही है।                           

कोरोना फिर देश में दस्तक देने लगा है चीन में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण का असर भारत के सीमांत क्षेत्रों में भी पड़ने का खतरा बना हुआ है। 

उत्तराखंड मे नेपाल से लगी खुली सीमाएं कोरोना संक्रमण का खतरा भारत में बढ़ा सकती है। नेपाल के बहुत से नागरिको का चीन सीमा से लगे क्षेत्रों में आना जाना लगा रहता, जिसके चलते कोरोना संक्रमण फैलने की संभावना बनी रहती है।पिछली बार भी इन नेपाल और भारतीय क्षेत्रो मे संक्रमण सैकड़ो जान ले चुका है।

उत्तराखंड के सीमांत जिलो पिथौरागढ़,चम्पावत व ऊधम सिह नगर की खुली सीमाओं से लगातार नेपाली नागरिक आवागमन बिना जांच पड़ताल के कर रहे है,जिसके चलते संक्रमण का खतरा बना हुआ है। झूलाघाट के झूलापुल से दैनिक रूप से दो सौ से अधिक लोगों की आवाजाही होती है l जांच के नाम पर तैनात एसएसबी परिचय पत्र ही देख रहे है। 

संक्रमण के खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की और से किसी भी प्रकार की तैयारी सीमांत क्षेत्र में देखने को नहीं मिल रही है जब कि झूलाघाट,डोड़ा,द्वालीसेरा,जौलजीबी,बलुवाकोट,धारचूला सहित ऊपरी क्षेत्रों से भारत नेपाल को आवागमन किया जाता है इन जगहों पर भी स्वास्थ्य विभाग की जाँच टीम मौजूद नही है।

स्वास्थ्य विभाग में स्टाफ की कमी – कोरोना की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने संविदा पर स्टाफ की नियुक्ति की थी कोरोना संक्रमण के दौरान सेवा लेने के बाद इन सभी स्वास्थ्य कर्मियो को निकाल दिया गया था जिसके चलते विभाग में स्वास्थ्य कर्मियो की संख्या पहले की तरह हो गयी है।

प्रभारी चिकित्साधिकारी मूनाकोट डॉ सचिन ने बताया कि अभी तक कोरोना संक्रमण को लेकर कोई दिशा निर्देश प्राप्त नही हुये है, जिसके चलते सीमा क्षेत्र में सैम्पलिंग सहित अन्य जांच कार्य नहीं किये जा रहे है, पूर्व में कोरोना के दौरान रखे संविदा कर्मियों को हटा दिए जाने से स्वास्थ्य कर्मियो की कमी हो गयी है ।

 

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