उत्तरकाशी के उड़री गांव का मामला
देवताओं के कोप से बचने के लिए ग्रामीणों ने तोड़े शौचालय तो कुछ जगह बदलने को हुए मजबूर
गिरीश गैरोला// उत्तरकाशी
पूरे देश मे मोदी सरकार का स्वच्छता अभियान ज़ोर – शोर से चल रहा है,किन्तु सुदूर सीमांत जनपद उत्तरकाशी मे देवताओ ने इस अभियान पर ब्रेक लगा दिये हैं। डूँड़ा ब्लॉक के उड़री गाव के ग्रामीणों की माने तो गांव के जाख देवता शौचालय बनाने के लिए अनुमति नहीं देते हैं।
स्वजल परियोजना के अधिकारियों के समझाने पर कुछ ग्रामीणों ने शौचालय तो बनाए किन्तु बाद मे देवता के कोप के डर से उन्हे तोड़ भी दिया। यहां शौचालय न बना सकने की मजबूरी के कारण कुछ लोग गांव से हटकर दूसरी जगह बसने को मजबूर हो गए हैं।
गौरतलब है कि इससे पूर्व जुलाई 2016 मे यमनोत्री विधान सभा के अंतर्गत क्यारी मथोलि गांव मे भी नाग देवता ने ग्रामीणों को शौचालय बनाने से रोक दिया था जिसके बाद जिला प्रशासन का अमला आईएएस नीतिका खंडेलवाल के नेतृत्व मे देवता को मनाने गांव मे पहुंचा था।
उत्तरकाशी-केदारनाथ मोटर मार्ग पर चूलीखेत से 6 किमी की पैदल दूरी पर स्थित उड़री गांव मे पहली बार पर्वतजन की टीम गांव मे पंहुची तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। करीब दो हजार आबादी के उड़री गाव मे ज़्यादातर लोग खेती-बाड़ी और पशु पालन व्यवसाय से जुड़े हैं।
गांव की घनी आबादी के बीच लोग शौचालय बनाना तो चाहते हैं, किन्तु धार्मिक आस्था ने उनके कदम रोक दिये हैं। ग्रामीणों मे देवता का ऐसा डर है कि जिन लोगों ने शौचालय बना भी दिये थे उन्हे फिर से तोड़ दिया है। ये अलग बात है कि शौचालय के अभाव मे ग्रामीण उसी इलाके मे खुले मे शौच कर रहे हैं, जबकि टाॅईलेट्स बनाने से डर रहे हैं।
गांव का सुबह अथवा शाम का नजारा देखने लायक होता है। हाथ मे लोटा या प्लास्टिक की बोतल थामे ग्रामीणों को खुले मे शौच करते हुए देखा जा सकता है। ग्रामीणों के लिए ये हमेशा सामान्य दिनचर्या है। हालांकि आंकड़ों मे जनपद को ओडीएफ़ फ्री घोषित किया जा चुका है। किन्तु धरातल पर नजारे कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।
गांव के भजन लाल और जीत लाल ने बताया की गांव मे ज़्यादातर लोगों के पास शौचालय नहीं है और लोग खुले मे ही शौच करते हैं।
बीडीसी मेम्बर पुरण सिंह कैंतुरा ने बताया कि जिन लोगों ने स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय बनाए थे, उन्होने देवता के डर से उन्हे तोड़ दिया है। अब लोग बीच का रास्ता अपनाते हुए अपने घर की जगह ही बदलने को मजबूर हैं, ताकि स्वच्छता बनाए रखते हुए देवता के गुस्से से भी बचा जा सके।
मामले को राजनैतिक रंग देते हुए कॉंग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप भट्ट ने इसे सरकार की नाकामी करार दिया है। उन्होने कहा कि मोदी की बीजेपी सरकार उत्तराखंड समेत 5 राज्यों को ओडीएफ़ फ्री ( खुले मे शौच से मुक्त ) घोषित कर चुकी है। जबकि धरातल पर स्वच्छता की कहानी देवता के पशवा और ग्रामीणों के बीच कंपन कर रही है।
स्वच्छता अभियान के लिए इन्सानों को जागरूक करने के बाद अब देवभूमि मे देवताओं को मानने की नयी ज़िम्मेदारी सरकार के कंधों पर आ गयी है। अब देखना है कि जिला प्रशासन देवताओं को मनाने के लिए कौन सा तरीका अपनाता है।