मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में प्राकृतिक भांग का प्रयोग कर स्वरोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञों ने छात्रों के समक्ष ग्रामीण स्वरोजगार पर बल देते हुए भविष्य की दिशा तय करने का आह्वान किया।
गुरूवार को देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी के फैशन डिज़ाइन विभाग द्वारा शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार और इंस्टीट्यूशंस इनोवेशन काउन्सिल के सहयोग से स्वरोज़गार पर आधारित कार्यशाला का आयोजन हुआ, जिसमें ग्राम संसाधन आधारित रोज़गार का आह्वान किया गया। इस दौरान मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में प्राकृतिक भांग के प्रयोग पर चर्चा की गयी। कार्यशाला के दौरान उपस्थित आगास (एएजीएएस) फेडरेशन, चमोली उत्तराखंड के अध्यक्ष जेपी मैथानी ने प्राकृतिक भांग के विभिन्न प्रयोगों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक भांग कैनाबिस सतिवा का एक प्रकार है, जिसका विभिन्न स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में प्रयोग किया जाता है वो भी मानसिक रूप से प्रभावित किये बिना। यही कारण है कि प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक भांग का इस्तेमाल कर ग्रामीण स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता विकास भी संभव हो सकेगा। इसके अलावा विभिन्न प्राकृतिक फाइबर्स भी ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता विकास की कड़ी बन सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान मैथानी ने छात्रों के बीच ग्रामीण स्वरोजगार को बढ़ावा देने सहित प्राकृतिक भांग का टेक्सटाइल में प्रयोग का आह्वान किया। इस दौरान स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म, लिबरल आर्ट्स एंड फैशन डिज़ाइन की डीन प्रोफ़ेसर दीपा आर्या ने कहा कि फैशन डिज़ाइन के छात्रों के लिए टेक्सटाइल इंडस्ट्री को जानना समझना महत्वपूर्ण है। इस दृष्टि से यह कार्यशाला छात्रों के लिए फैशन इंडस्ट्री के विभिन्न आयामों को परखने में ज़रूरी साबित होगी। कार्यशाला के दौरान कार्यक्रम संचालक राखी विरमानी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।