वीर माधो सिंह उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी, देहरादून में कुछ पूर्व शिक्षकों ने वीर माधो सिंह उत्तराखंड टेक्निकल में सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत सूचना मांगी जिसमें उन्होने वीर माधो सिंह उत्तराखंड टेक्निकल में सन 2010 में कितने अभ्यर्थीयो ने Mtech किया, किस ब्रांच में किया और कितने वर्ष में किया गया और किस माध्यम से किया गया जैसे sequential/ Part time/ full time। जिसमें उनको पूर्ण जानकरी मिली मगर पूर्व शिक्षकों ने Women Institute Technology 2019 में हुए चयन प्रक्रिया में जिस अभ्यर्थी का चयन Computer Science विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर चयन हुआ उनका नाम नहीं था। उक्त चयन प्रक्रिया में उस अभ्यर्थी द्वारा 2019 चयन प्रक्रिया UTU देहरादून, से 2010 में MTech पूर्ण की ऐसे दस्तावेज जमा किये गये थे । परन्तु सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में जो सूचना मिली उसमे उक्त अभ्यर्थी का नाम 2010 में किये गये Mtech में नहीं था। इसके बाद पूर्व शिक्षकों ने उक्त अभ्यर्थी के तथाकित नाम डॉ अंकुर दुमका के नाम से सूचना अधिकार अधिनियम से वीर माधो सिंह उत्तराखंड टेक्निकल से माँगा गया जो की वर्तमान में वीर माधो सिंह भण्डारी टेक्निकल उत्तराखंड के संघटन कॉलेज WIT (महिला प्रौद्योगिकी संस्थान) देहरादून, में 2019 चयन प्रक्रिया में कंप्यूटर साइंस विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर चयनित हुए।
इससे पूर्व भी डॉ अंकुर द्वारा 2010 की संदिग्ध डिग्री लगाकर उत्तराखंड के 2 अन्य बड़े संस्थानों में पढ़ा चुके हैं। उक्त 2010 की डिग्री में बहुत गलतियां हैं जो की यूनिवर्सिटी की तरफ से प्राप्त होना भी अपने में एक संदेह हैं। डिग्री 2010 की हैं और मार्कशीट सन 2011 की हैं। सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में जो जवाब मिला उसमे डॉ. अंकुर दुमका की MTech डिग्री का डिफेंस viva 2016 में दिया गया हैं। उक्त में ऐसे कैसे हों सकता हैं की कोई PhD में 2009 में एनरोल हुआ हों और बाद में MTech 2010 में और वर्ष 2010 में MTech की डिग्री प्राप्त कर ली हों। सबसे बड़ी बात MTech एनरोलमेंट नंबर 10001105001 एवं PhD एनरोलमेंट नंबर 09001001031, MTech और PhD ka Enrollment no. भी भिन्नता हैं जबकि एक यूनिवर्सिटी से आप कितने भी कोर्स कर लो एनरोलमेंट नंबर एक ही रहता हैं जबतक आप उक्त यूनिवर्सिटी से माइग्रेशन ना ले लो।
जिससे यह प्रतीत होता हैं की इन्होने MTech 2016 में MTech Research की जबकि उन्होंने 2019 WIT, देहरादून में चयन प्रक्रिया के समय 2010 की संदिग्ध MTech की डिग्री लगाकर एसोसिएट प्रोफेसर की नौकरी प्राप्त की।
सूचना मिलने के बाद पूर्व शिक्षकों ने 25 जनवरी 2024 कों मेल से व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पोर्टल में शिकायत दर्ज की जिसमें लगभग 100 पेज़ के सूचना के अधिकार 2005 से मिले दस्तावेज़ उस शिकायत में लगाये गए हैं परन्तु कुछ माह तक वहां से भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। उसके बाद पूर्व शिक्षकों ने महामाहिम राजयपाल, मुख्यमंत्री, टेक्निकल सेक्रेटरी सचिवालय, कुलपति वीर माधो सिंह उत्तराखंड टेक्निकल में लिखित शिकायत दर्ज की गई।
उसके उपरांत सूत्रों से ज्ञात हुआ की महामहिम राजयपाल के आदेश पर कुलपति वीर माधो सिंह उत्तराखंड टेक्निकल कों कर्यवाही करने के लिए कहाँ गया जिसपर वीर माधो सिंह उत्तराखंड टेक्निकल ने एक enquiry committee गठित की उसमे पूर्व शिक्षको व डॉ अंकुर दुमका कों भी बुलाया गया। दोनों पक्षो ने अपने-अपने दस्तावेज जाँच समिति मेंबर के सामने प्रस्तुत किये गए। सूत्रों की माने तो जाँच समिति ने अपनी रिपोर्ट कुलपति कों सौंप दी हैं। अभी तक इसमें कोई कर्यवाही नही हुई।
ऐसे में उन अभ्यर्थियों के साथ धोखा हुआ हैं जिन्होंने 2019 में WIT देहरादून चयन प्रक्रिया में एसोसिएट प्रोफेसर के पद ले लिए आवेदन किया था।
WIT के डॉयरेक्टर डॉक्टर पांडा ने बताया कि, “कॉलेज पूरी तरीके से यूनिवर्सिटी द्वारा कराई जा रही है जांच में सहयोग कर रहा है जो भी दस्तावेज कॉलेज से मांगे जा रहे हैं वह जांच समिति को उपलब्ध करा रहा है।”
डॉ अंकुर दुमका ने बताया कि, “जो जांच मुझ पर बैठाई गई है उसमें में पूरे तरीके से सहयोग कर रहा हूं। सभी दस्तावेज जमा कर दिए गए हैं और लिखकर रिटर्न में मैंने सब कुछ दे दिया है। मेरे ऊपर लगाए गए सभी आरोप गलत है। अभी तक मुझे जांच की रिपोर्ट के बारे में किसी तरह की कोई जानकारी नहीं है।”