महंगी बोली कि भरपाई के लिए होगा जमकर अवैध खनन
गिरीश चंदोला/थराली
सूबे की सरकार का राजस्व इस बार थराली में हुए रिवर ट्रेनिंग के पट्टे से कई गुना तक बढ़ जाएगा। थराली में 13 मार्च को हुए रीवर ट्रेनिंग के पट्टो से सरकार को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त हुआ है। दरअसल थराली में तीन स्थानों पर रिवर ट्रेनिंग के लिए पट्टो का आवंटन हुआ है।
खनिकर्म इकाई ने यहां इड़ा उर्फ नगर कोटियाणा, सुनगड़ी, और कुलसारी मल्याबगड़ के लिए निविदाएं जारी की थी। 12 मार्च निविदा प्रपत्र जमा करने की अंतिम तिथि तय की गई, जिसके बाद 13 मार्च को निविदाएं खोली गई। इन तीनो पट्टो का कुल संयुक्त आधार मूल्य 1972971 (उन्नीस लाख बहत्तर हजार नो सौ इकहत्तर रुपये ) है, जबकि बोलीदाता जिस तरह से इन पट्टो को खरीदने के लिए नीलामी की बोली लगा बैठे, उससे सरकार के खजाने में सीधे 1 करोड़ 76 लाख रुपये तक आने की संभावना है।
इस तरह से तीनों रीवर ट्रेनिंग के पट्टो से सरकार के राजस्व में सीधा सीधा डेढ़ करोड़ से ऊपर की बढ़ोतरी होनी तय है। नीलामी में निविदादाता सरकार के राजस्व के प्रति इतने फिक्रमंद रहे कि नगरकोटियाणा के जिस पट्टे का आधार मूल्य लगभग साढ़े नो लाख था, उसे उच्चतम बोली में निविदादाता 47 लाख तक ले गए। कुलसारी स्थित मल्याबगड़ के जिस पट्टे का आधार मूल्य लगभग साढ़े सात लाख निर्धारित किया था, बोलीदाता उस पट्टे का मूल्य आधार मूल्य से लगभग 7 गुना अधिक तक बोल गए।
सरकारी राजस्व के प्रति सबसे अधिक फिक्रमंद तो सुनगड़ी रीवर ट्रेनिंग पट्टे के बोलीदाता रहे यहाँ लगभग तीन लाख के आधार मूल्य के सापेक्ष निविदादाता उच्चतम बोली में इस पट्टे को 20 गुना अधिक यानी 60 लाख तक ले गए। निविदादाताओ की ये उच्चतम बोली बताती है कि सूबे की सरकार को तीन माह के लिए आवंटित इन रीवर ट्रेनिंग के पट्टो से अच्छा खासा राजस्व लाभ होने वाला है, जो सरकारी खजाने में कई गुना वृद्धि कर सकता है, लेकिन आधार मूल्य से 7 गुना और 20 गुना तक हुई यह चौकानें वाली वृद्धि इस बार स्थानीय प्रशासन के भी हाथ पांव फुला सकती है।
इस बात से इसलिए इनकार नही किया जा सकता है, क्योंकि इतने भारी भरकम दामों पर उठे इन पट्टो से अवैध चुगान की चोरी का भी खतरा बढ़ गया है। आधार मूल्य के बाद नीलामी में बोली में हुई बेतहाशा वृद्धि बताती है कि खनन कार्य में मोटा मुनाफा कमाने की आस में ही निविदादाताओ ने पट्टो के दामों में कई गुना ऊंची बोली लगाई है, लेकिन खनन कार्य के जानकार बताते है कि इन पट्टो में स्वीकृत क्षेत्र में पड़े मलबे/आरबीएम की मात्रा इतनी नही है कि लगाई गई बोली को निविदादाता वसूल कर सके।
जाहिर सी बात है कि आवंटित क्षेत्र में स्वीकृत उपखनिज की मात्रा से इतर भी खनन व्यवसायी उपखनिज पर अपनी नजरें गड़ाए हुए है। ऐसे में रीवर ट्रेनिंग शुरू होने के बाद देखने वाली बात यह भी होगी कि निर्धारित मात्रा में आरबीएम चुगान को स्थानीय प्रशासन कैसे सुनिश्चित कर पाता है।
प्रशासनिक अमला ये कैसे सुनिश्चित कर पायेगा कि निर्धारित मात्रा का आरबीएम हटाने के बाद आसपास के क्षेत्र से खनन की चोरी न हो सके, क्योंकि खनन का पिछली बार का गणित तो सूत्रों के हवाले से बताता है कि कुलसारी के मल्याबगड़ में हुई रिवर ट्रेनिंग में कुल 4200 घनमीटर के पट्टे से लगभग 1500 डंपर आरबीएम निकला था। अब एक बड़े डंपर में 10 घनमीटर आरबीएम के हिसाब से गणित निकाले तो इस पट्टे से कुल 15 हजार घनमीटर की निकासी हुई।
स्पष्ट है कि एक बार रिवर ट्रेनिंग के पट्टे की नीलामी और सरकारी राजस्व प्राप्ति मात्र से ही प्रशासन खनन नियमो की इतिश्री कर लेता है तो फिर निविदा विज्ञप्ति में आरबीएम मात्रा निर्धारण के मायने समझे जाए। इस सबके बीच अब देखने वाली बात ये होगी कि इतनी ऊंची नीलामी में बिके इन पट्टों में आरबीएम की निर्धारित मात्रा ही उठ सके, इसके लिए स्थानीय प्रशासन कितना मुस्तैद रहता है।