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आयुष शिक्षा की गुणवत्ता के विकास के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद की नवीन पहल।

रिपोर्ट: बिजेंद्र राणा 

भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखण्ड द्वारा राज्य में संचालित अनुचिकित्सकीय (Paramedical) पाठ्यक्रमों से सम्बन्धित कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा। परिषद की रजिस्ट्रार श्रीमती नर्वदा गुसाई ने जानकारी देते हुये बताया कि भारतीय विकित्सा परिषद द्वारा सचोलित पाठ्‌यक्रमों आयुर्वेदिक फार्मेसी, यूनानी फार्मसी, आयुर्वेदिक नर्सिंग, पंचकर्म सहायक तथा योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा सहायक से सम्बन्धित विषयों पर कार्यशाला आयोजित की जायेंगी। कार्यशालाओं का उद्देश्य आयुष शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि करना तथा प्रयोगात्मक गतिविधियों का सुचारू संचालन करना है। भारतीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ० जे०एन० मौटियाल ने कार्यशालालों के आयोजन हेतु विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है तथा वे स्वयं भी कार्यशालाओं में उपस्थित होकर संस्थाओं व छात्र-छात्राओं को प्रेरित करने का कार्य करेंगे।
शीघ्र ही परिषद द्वारा नवीन सत्र 2025-26 की प्रवेश प्रक्रिया माह जुलाई 2025 से प्रास्म की जा रही है। प्रदेश हेतु अर्हताओं को अन्य चिकित्सा पद्धतियों के अनुरूप किये जाने हेतु शासन को प्रस्ताव प्रेषित किया गया था जिसमें कुछ पाठ्‌यक्रमों की प्रदेश अर्हता में संशोधन शासन स्तर पर लम्बित है। शासन द्वारा अनुमति प्राप्त होते ही प्रवेश अर्हताओं में भी संशोधन किया जायेगा। इससे आयुर्वेद व अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक अधिक से अधिक छात्र-छात्राओं को अवसर प्राप्त हो सकेंगे।
भारतीय चिकित्सा परिषद के बोर्ड के निर्देशन पर आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों को एलोपैथ तथा होम्योपैथ की तरह ही औषधि विक्रय का अधिकार प्रदान किये जाने हेतु प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया गया है। यदि शासन द्वारा उक्त प्रस्ताव पर सकारात्मक निर्णय लिया जाता है तो यह एक मील का पत्थर साबित होगा। इससे जहां प्रशिक्षित आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों को स्वरोजगार प्राप्त होगा, इसके साथ-साथ उत्तराखण्ड राज्य में स्थित 300 से अधिक फार्मेसियों में आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों को रोजगार प्राप्त हो सकेगा।
भारतीय चिकित्सा परिषद के बोर्ड के निर्देशन पर नवीन पाठ्यक्रम आयुर्वेदिक डाइटिशियन का प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया गया है जिस पर शीघ्र ही अनुमति प्राप्त होने की सम्भावना है। अनुमति प्राप्त होते ही इस पाठ्यक्रम को भी संचालित करने की कार्यवाही की जायेगी। इसरी जहां छात्र-छात्राओं को आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त होगा, इसके साथ-साथ वेलनेस केन्द्रों व आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में रोजगार प्राप्त हो सकेंगा।
इस प्रकार भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड लगातार मा० प्रधानमंत्री जी व गा० मुख्यमंत्री जी के विजन के अनुसार उत्तराखण्ड को अग्रणी आयुष प्रदेश बनाये जाने हेतु कार्यस्त है। परिषद द्वारा इसी प्रकार आगे भी आयुष शिक्षा तथा आयुष प्रशिक्षणस्त व प्रशिक्षित छात्र-छात्राओं के हित लिए नित नवीन कार्य किये जाते रहेंगे जो उत्तराखण्ड राज्य को अग्रणी आयुष प्रदेश बनाने में सहायक सिद्ध होंगे तथा आयुष शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को रोजगार के अवसर प्रदान करेंगे।

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