त्रिवेंद्र सरकार में एएनएम भर्ती घोटाला हुआ है। 114 लोगों के दस्तावेज गायब है, उन्हे तो नियुक्ति दे दी ,लेकिन 33 सामान्य श्रेणी के प्रशिक्षितों को पुरानी नियमावली लगाकर वंचित कर दिया।
इस पर विभागीय जांच में घोटाले की पुष्टि होने के बाद विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे, लेकिन आज तक कार्यवाही दफन हैं, क्योंकि इन भर्तियों में जमकर धांधली हुई है और यह सब त्रिवेंद्र सिंह रावत की जीरो टोलरेंस की सरकार में हुआ है।
यदि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की कॉल डिटेल भी निकाल दी जाए तो कई की गर्दन नप सकती है।
इस मामले में नवंबर 2018 में स्वास्थ्य सचिव ने जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही करने को कहा था लेकिन तत्कालीन स्वास्थ्य महानिदेशक ने विभागीय जांच और सतर्कता अधिष्ठान द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर दोषी कार्मिकों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की।
शासन ने माना 33 अभ्यर्थियों संग अन्याय
इस पर तत्कालीन अपर सचिव अरुणेंद्र चौहान ने स्वास्थ्य महानिदेशक को कड़ी चेतावनी दी थी कि -“आपके द्वारा जानबूझकर दोषी कार्मिकों के विरुद्ध कार्यवाही न करके विलंब किया जा रहा है, अतः क्यों ना आपके विरुद्ध ही कार्यवाही कर दी जाए।”
इन भर्तियों में धांधली करने के लिए सामान्य श्रेणी के 33 पदों को दिव्यांगों के लिए बैकलॉग के पद बताकर भर्ती से वंचित रख लिया गया था। विभागीय जांच अधिकारी संयुक्त सचिव श्रीमती गरिमा रौंकली द्वारा 40 पेजों की जांच रिपोर्ट सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के पक्ष में होने के बावजूद भी आज तक उन पर भर्ती नहीं की गई ऐसा क्यों?
महानिदेशक पर दोषियों को बचाने का आरोप
विभाग द्वारा कई अभ्यर्थियों को दस्तावेज गायब होने के बावजूद जारी की गई विज्ञप्ति के नियमों के विरुद्ध चयनित किया गया व नियुक्ति दे दी गई, जबकि सामान्य वर्ग के 33 अभ्यर्थियों को गलत नियम का पालन करते हुए नियुक्ति से वंचित रखा गया। ऐसा क्यों ? 11 साल से प्रशिक्षण प्राप्त ये अभ्यर्थी अभी भी न्याय हेतु दर-दर भटक रहे हैं !
जांच अधिकारी ने मानी विभागीय गलती
पूरा मामला : विभागीय गलती से एनएचएम प्रशिक्षितों का करियर चौपट
15 मार्च वर्ष 2016 को स्वास्थ्य विभाग द्वारा ANM के 440 पदों में भर्ती हेतु विज्ञप्ति जारी की गई थी। लगभग 2 वर्षों तक विज्ञप्ति माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन रही।
12 मार्च 2018 को 293 चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी की गई । 293 में 147 अभ्यर्थी पात्र थे, जबकि 146 अभ्यर्थी औपबंधिक श्रेणी में रखे गए , उन्हें औपबंधिक श्रेणी में रखने का कारण उनके कई दस्तावेजों में भारी कमी थी। फिर भी उनका चयन किया गया।
वहीं दूसरी ओर 293 अभ्यर्थियों की चयन सूची में सामान्य वर्ग के 53 रिक्त पदों के सापेक्ष केवल 20 अभ्यर्थियों का ही चयन किया गया था। जिसमें दो दिव्यांग अभ्यर्थियों को भी चयनित किया गया व शेष 33 पदों को दिव्यांगों के बैकलॉग हेतु रिक्त रखा गया था। इससे पूर्व किसी भी भर्ती में ऐसा नहीं हुआ। जब अभ्यर्थियों को यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने शिकायतें की।
स्वास्थ्य सचिव द्वारा विजिलेंस जांच व साथ ही साथ विभागीय जांच के आदेश किए गए। कुछ महीनों पश्चात औपबंधिक श्रेणी में रखे गए अभ्यर्थियों के दस्तावेज गायब होने के बावजूद भर्ती कर दी गई। जबकि सामान्य वर्ग की भर्ती की शिकायतों की जांच पर कार्रवाई अभी भी लंबित है।
जांच पर जांच, लेकिन आंच नही
अभ्यर्थियों द्वारा शिकायतों के आधार पर स्वास्थ्य सचिव ने 17मार्च 2018 को विभागीय जांच के आदेश दिये । विभागीय जांच अधिकारी संयुक्त सचिव गरिमा ने अपनी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा कि वर्ष 2016 के पदों की भर्ती में दिव्यांगों हेतु जारी शासनादेश 2005 का पालन किया गया। जबकि विज्ञप्ति 2016 में जारी हुई थी तो इसमें दिव्यांगों हेतु संशोधित जारी शासनादेश 2011 का पालन किया जाना चाहिए था। जिसमें दिव्यांगों हेतु पद चिन्हित नहीं है। गरिमा ने इन पदों को सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों से भरने की कार्यवाही को कहा था। किंतु ऐसा नहीं हुआ।
आर्थिक व मानसिक पीड़ा से गुजर रहे प्रशिक्षित
प्रशिक्षित अभ्यर्थी कई बार न्याय की गुहार कई बार मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य सचिव व महानिदेशक से कर चुके हैं किंतु अभी तक उनके भविष्य को मद्दे नजर रखते हुए कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। कई अभ्यर्थियों की आयु सीमा भी समाप्त हो चुकी है।अभ्यर्थी आर्थिक स्थिति से भी जूझ रहे हैं।
नियमावली के अनुसार प्रशिक्षण, नियुक्ति नही
एएनएम भर्ती नियमावली में स्पष्ट लिखा है कि प्रशिक्षण के लिए चयनित अभ्यर्थियों की संख्या रिक्त पदों की संख्या के सापेक्ष होगी। अर्थात प्रशिक्षण उतने ही अभ्यर्थियों को दिया जाएगा, जितना उस समय पद रिक्त होंगे।
इसमें एक विशेष बात यह है कि इन सभी अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण विभाग द्वारा स्वयं रिक्त पदों के सापेक्ष दिया गया था जिन्हें प्रशिक्षण के 11वर्ष बाद भी उन पदों पर अभी तक नियुक्ति नहीं मिली है।
कुछ सवाल : अयोग्य की भर्ती और योग्य बाहर
स्वास्थ्य विभाग ने जिन 146 अयोग्य अभ्यर्थियों को भर्ती किया है उनको लेकर कई सवाल हैं।
पहला सवाल यह है कि जब नर्सेज एंड मिडवाइव्स काउंसिल में पंजीकृत नहीं है तो यह उत्तराखंड में एएनएम पद के दावेदार किस प्रकार से हो गए !
दूसरा सवाल जब एएनएम प्रशिक्षण की अंक तालिकाएं नहीं हैं और चयन मेरिट बेस पर किया जाना था तो बिना अंक तालिका के इन अभ्यर्थियों की मेरिट किस प्रकार से निर्धारित की गई !
तीसरा सवाल विज्ञप्ति में स्पष्ट लिखा गया था कि रोजगार कार्यालय में पंजीकरण अनिवार्य है। जिन अभ्यर्थियों का विज्ञप्ति प्रकाशित होने तक रोजगार कार्यालय में पंजीकरण नहीं था उनका चयन कैसे कैसे कर दिया गया !
चौथा सवाल जिन अभ्यर्थियों के जाति प्रमाण पत्र संलग्न नहीं थे, उनका एससी, एसटी,ओबीसी जाति प्रमाण पत्र ना होने के बावजूद चयन किस प्रकार आरक्षित श्रेणी में कर दिया गया !
पांचवा सवाल यह है कि विज्ञप्ति में स्पष्ट लिखा गया था कि बैंक ड्राफ्ट संलग्न न होने पर आवेदन अस्वीकार कर दिया जाएगा, ऐसे में बिना बैंक ड्राफ्ट वाले अभ्यर्थियों का चयन कैसे कर दिया गया !
जब यह सब घटनाओं के बावजूद 114 अभ्यर्थियों की भर्ती विभाग कर सकता है तो फिर उन 33 सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों का क्या दोष था जिन्हें विभाग की गलती के कारण नियुक्ति से वंचित कर दिया गया !
यदि सरकार में जरा भी संवेदनशीलता है तो इस पर विचार अवश्य करेगी।