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बेहद गोपनीय सूत्रों के अनुसार पिछले शनिवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा उत्तराखंड आए थे। बेहद गोपनीय इस दौरे में वह देहरादून के राजपुर रोड स्थित एक बड़े होटल में रुके थे। तथा उनसे भाजपा के दो शीर्ष उत्तराखंडी नेताओं ने मुलाकात की थी। यहां तक कि भाजपा के बड़े नेता जेपी नड्डा को विदा करने जौलीग्रांट हवाई अड्डे तक भी गए थे।
बेहद गोपनीय इस मुलाकात में क्या खिचड़ी पकी होगी। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके 2 दिन बाद जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत 17 तारीख को दल बल सहित दिल्ली गए तो उन्हें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात का समय नहीं मिल सका। यह भी एक दिलचस्प पहलू है कि जहां एक ओर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत स्वयं मीडिया में यह कह चुके हैं कि “छुट्टी सभी की होती है और उनकी भी एक दिन छुट्टी हो जाएगी।”
जिसके दूसरे दिन मुख्यमंत्री ने एक साक्षात्कार के दौरान नेतृत्व परिवर्तन को लेकर शक के दायरे में दो नेताओं पर सवाल उठाये जाने पर कोई बचाव नहीं किया था, बल्कि साफ कह दिया था कि इस बारे में उनके पास कोई पुष्ट जानकारी नहीं है। लेकिन त्रिवेंद्र रावत ने यह जरूर कहा था कि भाजपा के बड़े नेता जो मुख्यमंत्री बनना चाहते है, वही नेतृत्व परिवर्तन की खबरों को उड़ा रहे हैं।
आज ही मध्यप्रदेश के एक विवाह समारोह में। शामिल। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा वन मंत्री हरक सिंह रावत के कंधे पर हाथ रखे हुए फोटो जारी होने से। नेतृत्व परिवर्तन की अफवाहों में एक और छौंका लग गया है।
इससे पहले शनिवार को जब केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक देहरादून आए थे तो नए मुख्यमंत्री को लेकर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने दो टूक जवाब दे दिया था कि इस तरह के निर्णय केंद्रीय नेतृत्व करता है। गौरतलब है कि अभी तक भाजपा के दूसरे खेमों से त्रिवेंद्र सिंह रावत के बचाव मे कोई बयान नहीं आया है। और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने भी मुख्यमंत्री के बचाव मे बयान देने में 4 दिन की देर लगा दी।
वहीं मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार के एस पंवार की कंपनी द्वारा संचालित मीडिया ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी हथियाने का प्रयास करने वाले आरोप भाजपा के एक बड़े उत्तराखंड के बड़े मंत्री पर लगाते हुए कहा था कि उपरोक्त मंत्री की दिल्ली और हरियाणा के शराब व खनन माफिया से धन की बड़ी डील हुई है, जिसके बाद यह षड्यंत्र किया जा रहा है।”
जबकि मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने नेतृत्व परिवर्तन की खबरों को महज अफवाह करार दिया था।
यहां तक कि काफी देर से सक्रिय हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने भी इन खबरों को महज अफवाह करार देते हुए कांग्रेस पार्टी का षड्यंत्र बताया था।
सबसे अहम सवाल यह है कि कल ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एबीपी चैनल को दिए गए एक साक्षात्कार में साफ-साफ कहा कि ऐसी अफवाहों से राज्य के विकास नेता भी असर पड़ता है और लोअर लेवल की ब्यूरोक्रेसी में इसका काफी नुकसान होता है, इसके बावजूद इतने बवाल के बाद भी मुख्यमंत्री के बचाव में किसी भी मंत्री ने इन अफवाहों का खंडन नहीं किया है। जबकि पाठकों को याद होगा कि 6 माह पहले जब कहीं भी कोई चर्चा नहीं थी तब मामूली अफवाह उड़ने पर ही सांसद अनिल बलूनी ने मीडिया में बयान जारी कर दिया था कि त्रिवेंद्र सिंह रावत बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और वह कहीं से भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं है।