नवल खाली
लॉकडाउन के चलते पूरे प्रदेश के चप्पे चप्पे पर भले ही कड़ा पहरा हो । इस कड़े पहरे को एक आम आदमी तो नही भेद सकता पर शराब तस्करों के लिए ये बाएँ हाथ का खेल है। क्योंकि इसमे भाजपा नेता शामिल हैं।
देहरादून के करनपुर और टिहरी के कीर्तिनगर में देर रात हुई पुलिस की रेड में बडा खुलासा हुआ है।
गिरफ्तार जतिन अरोडा करनपुर मंडल कार्यकारिणी में
शातिर और फरार कुख्यात शराब तस्कर गोलू भी भाजपाई निकले।
कल देर शाम टिहरी कीर्तिनगर मे भी एसडीएम सन्दीप तिवाड़ी ने ऐसे ही एक गिरोह के सदस्य को दबोचा।
देखिए वीडियो
उन्होंने मामले की सत्यता और जांच के लिए किसी लड़के को कीर्तिनगर में एक पव्वा लेने के लिए भेजा ,उसको आसानी से उपलब्ध हो गया। बाद में बेचने वाला लड़का वीडियो में खुलासा भी कर रहा है कि कीर्तिनगर ठेके से ही वो खरीद कर बेच रहा है।
चाल चरित्र और पार्टी विद डिफरेंस वाली भाजपा में ये क्या हुआ ! संक्रमण काल में लोगों की मदद के बडे बडे दावे के बीच शराब तस्करी का दाग पार्टी के मंडल पर लगा है। करनपुर मंडल में इनकी ज्वाइनिंग के समय ही सवाल थे।
लोगों ने भाजपा विधायक खजानदास से नाराजगी व्यक्त की थी। विधायक जी अब क्या जवाब देंगें पार्टी के नेता जनता के बीच जाकर !
सूत्रों के मुताबिक करनपुर में अभी भी तीन सौ से अधिक पेटी मौजूद है
अलग अलग लोगों के घर बेहद शातिर तरीके से शराब छिपाई गई है।
जानकारों की मानें तो सर्वे चौक स्थित शराब ठेका अडडा बन गया है। ठेके के निकट स्थित दुकान से रास्ता ठेके का तैयार किया गया। ठेका मालिक की इसमें पूरी तरह से सहमति के बिना तस्करी नही संभव नही है।
सवाल है कि 23 मार्च से ठेका पूरी तरह लाक डाउन है तो ठेके का रिकार्ड क्यों नही जांचा जा रहा है !
बंदी के समय और मौजूदा स्टाक में आखिर अंतर कैसे पता चलेगा !
चर्चायें ये भी हैं कि आबकारी महकमे ने भी आँखे फेर रखी थी। पूरे प्रदेश में लाक डाउन के दौरान आबकारी महकमे ने कुछ नही किया। बार से लेकर ठेके शराब तस्करी के अडडा बने लेकिन कोई एक्शन नही हुआ। हाँ संक्रमण से घिरे पनियाला गांव में जरूर बेवजह टीम गई और फंस गई।
बड़ा प्रश्न यहीं खड़ा होता है कि इतनी चौकसी के बाद भी , ठेके के बाहर सील लगने के बाद भी शराब की निकासी कैसे हो रही है ?
ठेकों में कुल शराब के स्टॉक से कैसे ये निकासी हो रही है ?
ये दो नम्बर की शराब कहाँ और किस गोदाम से आ रही है ? इसमे कहीं न कहीं एक बड़ी मिलीभगत से ये काम धड़ल्ले से चल रहा है। जबकि आबकारी महकमा खुद मुख्यमंत्री के पास है। ऐसे में इस विभाग को क्या इतनी छूट है कि इसकी नाक के नीचे शराब का अवैध कारोबार चलता रहे ?