अभद्रता:भाजपा के एक पार्षद ने बोर्ड बैठक में सहायक नगर आयुक्त को ठीक करने की धमकी दी

 

हरिद्वार:-

सत्ता की भनक देखनी हो तो इस दौरान हरिद्वार आ जाईऐ। मामला नगर निगम हरिद्वार का है। जहां भाजपा के एक पार्षद ने बोर्ड बैठक में मर्यादाओं को दरकिनार कर सहायक नगर आयुक्त को भला-बुरा ही नही कहा बल्कि ठीक करने की धमकी भी दे डाली। 

इस अभद्रता पर हरिद्वार में कई जन संगठन और नगर निगम के कर्मचारी पार्षद को गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। जबकि सहायक नगर आयुक्त द्वारा पार्षद के विरूद्ध पुलिस में एफ़आईआर भी दर्ज हो चुकी है।

ज्ञात हो कि पिछले माह के अंतिम तारीख को हुई बोर्ड बैठक में भाजपा पार्षद ने सहायक नगर आयुक्त विनोद आर्य के साथ अभद्रता की थी, जिस पर सहायक नगर आयुक्त विनोद आर्य द्वारा भाजपा पार्षद शुभम मंडोला के खिलाफ कोतवाली हरिद्वार में मुकदमा दर्ज कराया गया था। 

सहायक नगर आयुक्त विनोद आर्य और क्लर्क वेदपाल के साथ भाजपा पार्षदों द्वारा की गई अभद्रता पर निगम कर्मचारियों ने कर्रवाई न होने पर तीन दिन बाद कार्य बहिष्कार कर दिया और धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।

इधर सरकार और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के लिए यह घटनाक्रम नाक का सवाल बन आयी  तो सहायक नगर आयुक्त विनोद कुमार को कोटद्वार स्थानांतरित कर दिया गया। 

अब सहायक नगर आयुक्त के स्थानांतरण के कारण कर्मचारियों में और अधिक गुस्सा फूट पड़ा है। पर सहायक नगर आयुक्त ने सभी कर्मचारियों से अपील की है कि कुम्भ का आयोजन होने जा रहा है इसलिए वे अपने काम पर लौटे। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस उनके आवेदन पर कार्रवाई नहीं करती तो अपनी जान-माल की सुरक्षा के लिए वे न्यायालय जायेंगे। 

जबकि सहायक नगर आयुक्त के साथ हुई अभद्रता पर एक दर्जन संगठन आगे आये है, वे पुलिस से कार्रवाई की मांग कर रहे है। संगठनों का कहना है कि पुलिस समय पर कार्रवाई नहीं करेगी तो इस घटना को जातिवाद से ग्रसित करार दिया जायेगा और इस मुद्दे को अन्तरराष्ट्रीय मंच पर उठाया जायेगा। यह बात संयुक्त मोर्चा के नेता सुरेंद्र वर्कर , राजेंद्र श्रमिक, अखिलेश शर्मा, रामचंद्र, सुनील राजोर, कांग्रेस नेता अशोक शर्मा, मेयर अनीता शर्मा, पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने एक बयान के मार्फत कही।

मेयर अनीता शर्मा ने कहा कि यदि दोषी भाजपा पार्षद परिसर में नहीं आते हैं और कर्मचारियों से माफी नहीं मांगते हैं, तो वे सरकार को सदस्यता समाप्त करने के लिए पत्र लिखेगी।

 मुख्य नगर आयुक्त जय भारत सिंह ने कहा कि वे विभागीय महत्वपूर्ण कार्य से बार्ड बैठक में नहीं पहुंच पाये थे।  यदि सदन में अभद्रता हुई है या उनके सहयोगी अधिकरी के साथ अमर्यादित व्यवहार पर कोई जन प्रतिनिधि उतर आता है तो उसके खिलाफ शख्त कानूनी कर्रवाई की वे मांग करते है। उन्होंने कहा कि बोर्ड की बैठक में सभी को संयमित व मर्यादित रहना चाहिए, अधिकारी हो या जन प्रतिनिधि सभी को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। 

श्रमिक कर्मचारी नेता राजेंद्र श्रमिक ने कहा कि विवादित भाजपा पार्षद निगम परिसर में आकर माफी नहीं मांगते हैं, तो नगर निगम के कर्मचारी भविष्य में अपने को असुरक्षित समझेंगे, जिसकी ज़िम्मेदारी भविष्य में सरकार को लेनी पड़ेगी। 

सहायक नगर आयुक्त के तबादले के कारण नगर निगम की राजनीति में उबाल आ गया है। कांग्रेस अनुसूचित विभाग के कार्यकर्ताओं ने नगर निगम में जिला अध्यक्ष सुनील कुमार के नेतृत्व में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का पुतला फूंका।

 जिलाध्यक्ष सुनील कुमार ने कहा कि दलितों का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उत्तराखण्ड समता अभियान के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश भारती ने कहा कि यदि सहायक नगर आयुक्त का मामला निचले स्तर पर नहीं सुलझाता है तो वे इस मामले को उच्च स्तर ले जायेंगे। 

बोर्ड बैठक की मर्यादा संवैधानिक जानकारों का कहना है कि किसी भी बोर्ड बैठक में शिष्टाचार का बहुत ध्यान रखना पड़ता है। कोई भी बोर्ड सदस्य या पार्षद को अपनी बात या शिकायत अपने अध्यक्ष को संबोधित करते हुए संयमित व मर्यादित रूप से करनी चाहिए। वर्ना यह माना जायेगा कि जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधि असंवैधानिक रूप से कार्य कर रहे हैं।

विनोद कुमार सहायक नगर आयुक्त हरिद्वार ने बयान दिया है :- 

पार्षद शुभम मंडोला ने मुझे बोर्ड की बैठक में धमकाया, मेरे कार्यालय आकर भी धमकी देकर गया। मुझे पार्षद के इस तरह के व्यवहार से बहुत ही खतरा पैदा हो गया है। इसीलिए मैने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई है। अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। –

शुभम मंडोला, पार्षद का भी इस पर  बयान आया है :- 

सहायक नगर आयुक्त विनोद कुमार मेरा फोन नही उठाते। हमे जनता के काम करने होते है। इसलिए मैने बोर्ड बैठक में यह बात रखी है। जहां तक विवाद का मामला है, यह कांग्रेस के लोग विवादित बना रहे है।

पुलिस अधीक्षक हरिद्वार ने इस मामले को लेकर कहा है की :-

यह मामला किसी अधिकारी और जन प्रतिनिधि के मध्य का है। यदि आपसी समझौता नहीं होता है तो वे शख्त कार्रवाई करेंगे। सामने पर महाकुंभ का आयोजन है। इसलिए विवादों का निपटारा करके कुम्भ को शान्त और सुव्यवस्थित रूप से सम्पन्न करवाने की ज़िम्मेदारी सभी प्रतिनिधि व कर्मचारी लें।

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