चारधाम यात्रा में देश के कोने कोने से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। जिसके चलते चार धाम यात्रा अपने चरम पर रहती है। साथ ही चारधाम यात्रा में अवैध वसूली भी चरम पर चल रही है।
हम यहां जिस अवैध वसूली की बात कर रहे हैं वह लाखों में नहीं करोड़ों में हो रही है।
चार धाम यात्रा में चल रही इस अवैध वसूली से कई सवाल सरकार पर खड़े हो जाते हैं कि आखिर वह कौन लोग हैं और किसकी सय पर इतना बड़ा अवैध वसूली का खेल खेल रहे हैं।
जानिए पुरा मामला:
यह अवैध वसूली केदारनाथ पैदल मार्ग पर चलने वाले घोड़े खतरों से गद्दी शुल्क के नाम पर हो रही है।
गद्दी शुल्क के नाम पर लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रुपए धड़ल्ले से अंदर किए जा रहे हैं।
गद्दी शुल्क के नाम पर प्रत्येक दिन घोड़े खच्चर स्वामियों से ₹80 की पर्ची काट ली जाती है। यह व्यवस्था रुद्रप्रयाग के एक जिला पंचायत ने बनाई है।
घोड़े, खच्चर स्वामियों को गद्दी के रूप में एक ढाई ₹2 की कंबल दी जाती है और उनसे प्रत्येक दिन ₹80 लिए जाते हैं।
अब आप हिसाब लगाइए कि केदारनाथ में 1 दिन में 5000 घोड़े खच्चर चलते हैं जिनसे गद्दी के नाम पर प्रत्येक घोड़े खच्चर स्वामी से ₹80 लिए जाते हैं जिसकी प्रत्येक दिन की अवैध कमाई ₹400000 बैठती है और महीने की 1 करोड़ 20 लाख रुपए बैठती है।
अब जो गद्दी घोड़े खच्चर स्वामियों को दी जा रही है उसकी कीमत मात्र ₹250 है। लेकिन घोड़े खच्चर स्वामियों को इसकी कीमत प्रत्येक महीने तो ₹2400 पड़ रही है। और 6 महीने में वही गद्दी उन्हें ₹14400 की पड़ रही है।
चार धाम यात्रा पर 8000 घोड़े खच्चर रजिस्टर्ड है अगर हिसाब लगाया जाए तो 6 महीने में उनसे होने वाली कमाई 11 करोड 52 लाख रुपए है।
अजब गजब का यह करोड़ों के घोटाले का खेल चार धाम यात्रा में जमकर खेला जा रहा है।इस काम के लिए पहले से टेंडर बनाए जाते थे लेकिन इस बार जिला पंचायत ने करोड़ो का यह काम बिना टेंडर के ही अपने चहेते को दे दिया ।
केदारनाथ के सेवा समिति के नाम पर एक संस्था रजिस्टर्ड है जिसको यह काम सिर्फ अनुमोदन पर दिया गया है ।
कहते हैं ना जब बड़े बड़े अफसरों से अपनी सेटिंग गेटिंग हो तो टेंडर का क्या किसी को भी दे दो।
अब देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि क्या सरकार इस करोड़ों की चल रही अवैध वसूली पर कार्यवाही कर रोक लगाएगी या यूं ही कुछ लोग बड़े बड़े अधिकारियों से अपनी सेटिंग बैटिंग के चलते करोड़ों की वसूली करते रहेंगे।