मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार पंवार पर 200 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप। पत्नी और भतीजा है निदेशक
मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार केएस पवाँर जो कि, सोशल म्यूचूअल बेनेफ़िट्स लिमिटेड में निदेशक है। इस कम्पनी के सम्बंध में RBI ने जून माह 2020 में उत्तराखंड सरकार को सूचित किया था की ये कम्पनी उत्तराखंड में अवैध गतिविधियाँ चला रही है इस पर कार्यवाही की जायेे। कार्यवाही करने हेतु मुख्य सचिव ने STF को आदेश जारी करने की बात की लेकिन इस कम्पनी का नाम पत्र से अचानक ग़ायब कर दिया गया। इस कम्पनी ने 2017 से 2020 तक लगभग 186 करोड़ अवैध तरीक़े से मनी लॉंडरिंग करके इकट्ठा किए।
इस कम्पनी ने 2.5 लाख निवेशक बनाने का दावा कर 186 करोड़ इकट्ठा किए। 2.5 लाख निवेशकों में 80% फ़र्ज़ी है।
काफ़ी पते जाँच में फ़र्ज़ी पाए गए या उन लोगों ने ऐसी किसी कम्पनी में निवेश ही नहीं किया।
ये सहारा स्कैम पार्ट-२ है।
ये उत्तराखंड का अब तक का सबसे बड़ा स्कैम है।
RBI किस गाइडलाइंज़ के तहत ये कम्पनी काम कर रही थी।
RBI के पत्र के बाद भी इस कम्पनी पर कार्यवाही क्यों नहीं हुयी।
ये 186 करोड़ का किसके है ?
क्या मुख्यमंत्री के पैसों को तो ठिकाने नहीं लगाया और ब्लैक को वाइट किया गया ?
बता दें कि, आज विधानसभा सत्र में कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सदन में जमकर हंगामा किया। कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के औद्योगिक सलाहकार की कंपनी का मामला सदन में उठाया। जिस पर चर्चा की मांग करते हुए कांग्रेस विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। हालांकि इस हंगामे के बीच विधानसभा स्पीकर ने कांग्रेस विधायक की मांग को स्वीकार करते हुए इस मुद्दे पर चर्चा के लिए मंजूरी दे दी है।
सदन में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के औद्योगिक सलाहकार की कंपनी का मुद्दा उठाया। हालांकि पहले विधानसभा अध्यक्ष ने यह कहते हुए मना कर दिया कि जो मामला कोर्ट में है, उस पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती। जिसके बाद कांग्रेस विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। सदन में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि भाजपा के दो विधायकों ने भी भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया। वहीं कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के मामले पर सदन में बात ही नहीं करना चाहती है।
कांग्रेस ने नियम 310 के तहत भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर चर्चा की मांग की। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने नियम 58 के तहत काजी निजामुद्दीन के मामले को सुनने की बात कही। बता दें कि मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार की कंपनी के मुद्दे पर विपक्ष हंगामा कर रहा है। कांग्रेस लगातार कंपनी पर दस्तावेजों में फर्जीवाड़े का आरोप लगा रही है। कांग्रेस 180 करोड़ रुपये से ज्यादा मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा रही है।