उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता की बात एक बार फिर सोशल मीडिया में चरम पर है मुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार अपनी अपनी ओर से ताकत लगाए हुए हैं। यह बात कोई और नहीं मुख्यमंत्री निवास से ही चल रही है कि त्रिवेंद्र रावत को हटाने के लिए कई प्रकार की साजिश है की जा रही है। यदि मुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार अपनी ओर से कोई बात कहते कि उत्तराखंड में त्रिवेंद्र रावत की कुर्सी पर खतरा है या कोई साजिश चल रही है तो शायद कोई विश्वास करता, किंतु मुख्यमंत्री के सोशल मीडिया समन्वयक परितोष सेठ, जिन्हें हर महीने त्रिवेंद्र रावत सरकार ₹50000 वेतन गाड़ी घोड़ा सब देती है, वही साजिश और संयंत्रों की बात कह रहे हैं।
परितोष सेठ ने यह बात न सिर्फ आम जनता के सामने शेयर की है, बल्कि यह भी कहा जा रहा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री की इर्द गिर्द के लोगों से सलाह मशवरा करने के बाद ही साजिश और अस्थिरता पर लंबी चौड़ी पोस्ट लिख डाली है। परितोष सेठ की इस पोस्ट को पढ़ने के बाद एक बार फिर चर्चा हो रही है कि क्या वास्तव में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कोई खतरा है। 6 जनवरी को पारितोषिक ने यह पोस्ट की है:-
“त्रिवेंद्र विरोधियों की झुंझलाहट”
त्रिवेंद्र रावत ने जब से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तब से ही उनके विरोधी हाथों में आरियां लेकर कुर्सी के पायदानों को काटने का भरसक प्रयास करने में लगे हुए है। हालांकि ये अलग बात है कि खंडूरी, निशंक, बहुगुणा और हरीश रावत के विरोधियों की तरह त्रिवेंद्र रावत ने अपने विरोधियों को ऐसा कोई मौका नहीं दिया जिससे उनका मंसूबा पूरा हो पाता लेकिन उनके प्रयास निरंतर जारी है। त्रिवेंद्र रावत ऐसे मुख्यमंत्री है जो 2017 के विधानसभा चुनाव संपन्न होने तक न तो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे न उन्होंने इस पद के लिए छीना झपटी में विश्वास किया। संघ का अनुशासित सिपाही व संगठन का अनुभव दोनों ने त्रिवेंद्र रावत को मोदी और शाह की पहली पसंद बना दिया और भाजपा के पूर्ण बहुमत वाली डबल इंजन सरकार के वह मुख्यमंत्री बन गए।
त्रिवेंद्र रावत की छवि एक ज़मीन से जुड़े हुए ईमानदार राजनेता की है। मुख्यमंत्री बनते ही त्रिवेंद्र रावत ने ट्रांसफर पालिसी व ई-टेंडरिंग लागू करवाकर सचिवालय और विधानसभा में मंडराते दलालों की दुकानें बंद करवाते हुए अपनी सरकार को जीरों टॉलरेंस सरकार का नाम दिया और तुरन्त सीएम डैशबोर्ड और सीएम हेल्पलाइन 1905 को जनता के लिए शुरू करवाया। पहले दिन से ही त्रिवेंद्र विरोधियों ने उन्हें छः महीने का मुख्यमंत्री घोषित कर प्रचार करना शुरू कर दिया लेकिन जैसे-जैसे त्रिवेंद्र सरकार आगे बढ़ती गयी उनकी बेचैनियां भी बढ़ती चली गयी।
मार्च 2020 में त्रिवेंद्र सरकार अपने तीन साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही है, इन पौने तीन सालों में त्रिवेंद्र रावत ने समाज के हर वर्ग के लिए अलग – अलग क्षेत्रों में कुछ ऐसे बड़े काम किये है जिनसे राष्ट्रीय फलक पर उत्तराखंड ने अपनी एक विशेष पहचान बनाई है। हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी भारत नवाचार सूचकांक 2019 में पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में उत्तराखंड को सर्वश्रेष्ठ तीन राज्यों में शामिल किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में सभी सरकारी विद्यालयों में एनसीआरटी की पुस्तकें सख्ती से लागू करवाकर आमजन को जो ख़ास राहत दी उससे ख़ासकर निम्न और मध्यवर्गीय परिवारों के लोग त्रिवेंद्र रावत के शुक्रगुज़ार हो गए है। स्थानीय भाषाओँ को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल कर पहले चरण में पौड़ी ज़िले में गढ़वाली भाषा में पाठ्य पुस्तकें भी तैयार करवाई है जिनका विस्तार आगे हर जिले में किया जाना है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक तरफ जहाँ पर्वतीय क्षेत्रों में चिकित्सकों की संख्या को पहले के अपेक्षा दुगुना कर दिया है वहीँ दूसरी तरफ अटल आयुष्मान योजना में राज्य के समस्त परिवारों को प्रतिवर्ष 5 लाख रूपये तक वार्षिक की निःशुल्क चिकित्सा सुविथा उपलब्ध कराने वाला देश का पहला और इकलौता राज्य भी बना दिया है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतगर्त भी पर्वतीय राज्यों की श्रेणी में 1839 किमी सड़कों का निर्माण किये जाने पर उत्तराखंड को देश में प्रथम पुरूस्कार मिला, इसके साथ नदियों के विकास और सरंक्षण के लिए पहला राष्ट्रीय जल पुरूस्कार – 2018 उत्तराखंड को ही प्राप्त हुआ। 66 वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरुस्कारों में उत्तराखंड राज्य को बेस्ट फ़िल्म फ्रेंडली स्टेट घोषित किया गया, देश के पहले ड्रोन एप्लीकेशन प्रशिक्षण केंद्र एवं अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना के साथ – साथ देश की पांचवी साइंस सिटी देहरादून में बनाई जा रही है। राजधानी में ही कोस्ट गार्ड भर्ती सेंटर व नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का शिलान्यास और शत-प्रतिशत।
देेेेखना है कि मुख्यमंत्री निवास से निकली यह बात क्या असर करती है